भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत और अंजना ओम कश्यप के बीच तीखी बहस देखने को मिली। राकेश टिकैत टीवी चैनल आजतक के कार्यक्रम ‘पंचायत आजतक’ में पहुंचे थे। शो की होस्ट अंजना ओम कश्यप ने राकेश टिकैत से कई तीखे सवाल पूछे।

राकेश टिकैत अपनी बातचीत में कुछ न्यूज़ चैनल्स पर सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाते नज़र आए थे। इसपर अंजना ओम कश्यप ने पूछा, ‘आप सरकार पर चुनाव में छेड़खानी का आरोप लगा रहे हो। पश्चिम बंगाल में फिर ममता दीदी कैसे जीत गईं? आप चुनाव आयोग पर ऊंगली उठा रहे हैं। साथ ही चैनल्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रहे हैं।’ इसके जवाब में राकेश टिकैत कहते हैं, ‘सबको पता है। दो कैंडिडेट जिला पंचायत में जीते थे और अध्यक्ष बीजेपी का बनेगा। एक बार आप दिखा भी दिया करो।’

टिकैत आगे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं है। जीते चाहे कोई भी, लेकिन जिलाधिकारी जीत का टिकट बीजेपी के उम्मीदवार को देगा। पश्चिम बंगाल में तो बीजेपी का गंजा भर्ती अभियान चला था। आप लोग दिखाते तो कुछ नहीं हो। कम से कम ये तो दिखाना चाहिए था।’ अंजना ओम कश्यप राकेश टिकैत के इस सवाल पर कहती हैं, ‘आपको लगता है कि 24 घंटे राकेश टिकैत चैनल खोल दिया जाए। नहीं तो पहले आप इतने गुस्से में कहां बात करते थे? आप थोड़ा ठंडा दिमाग करो और अपने संगठन के बारे में सोचो। लखनऊ को दिल्ली बना दूंगा ये क्या कहा था?’

लखनऊ पर क्या बोले राकेश टिकैत? राकेश टिकैत इसके जवाब में कहते हैं, ‘लखनऊ का प्रमोशन न करें? अगर लखनऊ दिल्ली बन जाएगा तो कोई परेशानी है क्या? ये गांव का सीधा किसान है, दवाई देना जानता है। कुछ पार्टियों को दिमागी बुखार है। उनका बुखार उतरेगा तीन साल में। बंगाल में उन्हें दवाई दी गई तो थोड़ा बुखार में आराम हुआ है। हमारा इलाज संसद में है। लेकिन पार्टी का इलाज किसान के पास है। मुझे सबका पता है कि किसे क्या बीमारी है। आप मुझे जाट को लेकर सवाल मत करो। आप मुझे जहां ले जाना चाहते हो मैं वहीं नहीं जाऊंगा।’

लखनऊ किसी की जागीर नहीं: टिकैत पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे। उन्होंने किसानों को गन्ने का सही दाम देने की मांग भी की थी। इससे पहले वे ग्रेटर नोएडा के जेवर में भी एक महापंचायत में पहुंचे थे।

यहां राकेश टिकैत के सख्त तेवर भी दिखाई दिए थे। उन्होंने कहा था कि लखनऊ किसानों का है, किसी के बाप की जागीर नहीं है। बता दें, पिछले करीब 9 महीने से किसान नेता दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं।