फिल्म ‘एनिमल’ इस वक्त बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर रही है। फिल्म में जमकर मारधाड़ और वायलेंस दिखाई गई है। जिसकी कई लोगों ने आलोचना भी की है। फिल्म में रणबीर कपूर के दादा के भाई का किरदार निभाने वाले दिग्गज अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने इसे लेकर बात की है। उनके मुताबिक नेगेटिव किरदार फिल्मों को और भी दिलचस्प बनाते हैं।
संदीप रेड्डी वांगा की ‘एनिमल’ में प्रेम चोपड़ा के किरदार की खूब तारीफ हो रही है। वह लंबे समय के बाद बड़े पर्दे पर नजर आए हैं। प्रेम चोपड़ा का कहना है कि अब की फिल्मों में विलेन के पास कोई न कोई वजह होती है की जा रही है, जो पहले की फिल्मों में नहीं हैं। बता दें कि प्रेम चोपड़ा ने 1970 और 80 के दशक की फिल्मों में नेगेटिव किरदार निभाये थे।
चोपड़ा का कहना है कि पहले की फिल्मों में नेगेटिव किरदारों का कोई औचित्य नहीं बताया जाता था और उन्होंने 1973 में आई फिल्म ‘बाबी’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस फिल्म का निर्देशन राज कपूर ने किया था जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया अहम भूमिका में थे। चोपड़ा ने कहा,”उन दिनों, हम पर बुरे लोग होने का ठप्पा लगा दिया जाता था… यह सीधे तौर पर था, चाहे प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, प्राण साहब या कोई और हो।”
उन्होंने कहा कि जैसे ‘बाबी’ में मेरा सिर्फ एक डायलॉग था और वह बहुत मशहूर हो गया। राज (कपूर) को सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ी। लोग जानते थे कि वह कुछ करने जा रहे हैं। चोपड़ा ने यह बात अपने मशहूर डायलॉग ‘प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा’ को याद करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पहले नेगेटिव किरदारों से कहानी को दिलचस्प बनाया जाता था। यह अब भी वैसा ही है। वे फिल्म का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
आजकल, अंतर यह है कि हर नेगेटिव किरदार के पास एक कारण होता है। वह कैसे और क्यों खलनायक बना है। अभिनेता ने कहा कि ‘एनिमल’ में, वह (रणबीर) ऐसे क्यों हैं, इसका कारण है और ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पिता को गोली मार दी गई थी और उन्हें बदला लेना था।
अपने 60 साल लंबे करिअर के दौरान चोपड़ा ने ‘दो रास्ते’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘कटी पतंग’, ‘सौतन’ और ‘त्रिशूल’ जैसी कई फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कहा कि किरदार के पॉजिटिव या नेगेटिव होने की परवाह किए बिना लोग अच्छी परफॉर्मेंस की ज्यादा सराहना करने लगे हैं। अभिनेता ने इस फिल्म में रणबीर की परफॉर्मेंस की भी तारीफ की।