साल 1976 की बात है जब अमिताभ बच्चन स्टार बन चुके थे और उनके पिता हरिवंश राय बच्चन को उनके काम के लिए सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की। हरिवंश राय बच्चन को यह सम्मान मिलने की खबर सुनकर पूरा परिवार खुशी से झूम उठा और पूरा परिवार इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहता था। हालांकि सरकारी आदेश यह था कार्यक्रम में परिवार के सिर्फ दो ही लोग शामिल हो सकते हैं। आपसी सहमति से बच्चन परिवार ने यह फैसला किया कि अमिताभ बच्चन और उनके भाई अजिताभ बच्चन इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।

यह तय किया गया कि तीनों ब्लैक कलर का सूट पहन कर कार्यक्रम में शरीक होंगे। सूट सिलने के लिए खास टेलर को बुलवाया गया और उसने तीनों के सूट सिले। अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन ने तीनों की पैकिंग की जिम्मेदारी ली और हर एक सामान बहुत सोच-समझ कर ध्यान से पैक किया। जिस दिन से तीनों को मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना होना था उसी दिन अजिताभ बच्चन की तबीयत बिगड़ गई। अतः अमिताभ और उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने निकलने का फैसला किया। तीनों जब दिल्ली पहुंचे और कपड़े बदलने लगे तो उनके होश फाख्ता हो गए।

अमिताभ बच्चन की पैंट आधी फिट से भी ज्यादा छोटी थी। पता करने पर मालूम हुआ कि जया बच्चन ने गलती से अजिताभ की पैंट अमिताभ के कपड़ों में पैक कर दी थी। बड़ा कार्यक्रम था और एक दम से कपड़े बन पाना संभव नहीं था। अतः उन्होंने दिल्ली में मौजूद अपने दोस्त राजीव गांधी को फोन किया और उनसे जल्द से जल्द एक जोड़ी कपड़े भेजने की बात कही। राजीव गांधी ने अपना कुर्ता-पायजामा और शॉल अमिताभ बच्चन के लिए भेजा और उस कार्यक्रम में अमिताभ राजीव के कपड़े पहन कर शरीक हुए। हालांकि कार्यक्रम में राजीव बार-बार अमिताभ को इस बात पर छेड़ते रहे कि आज तो तुमने उधारी के कपड़े पहने हैं।

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