जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहे यासीन मलिक को टेरर फडिंग से जुड़े मामले में दिल्ली की विशेष NIA अदालत ने दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई है। कोर्ट के इस फैसले पर सियासी घमासान मचा है। इसी बीच नेटवर्क-18 न्यूज चैनल पर इसी मसले पर एक डिबेट शो में MPCI अध्यक्ष तस्लीम रहमानी और फिल्ममेकर अशोक पंडित के बीच तीखी बहस हुई।
अमिश देवगन ने MCPI अध्यक्ष तसलीम रहमानी से सवाल पूछते हुए कहा कि यासीन मलिक को सजा होती है तो क्यों माजिद हैदरी को मुसलमान नजर आता है और वो औरंगजेब को बीच में लेकर आते हैं, क्या आपको लगता नहीं है यह देश के लिए हानिकारक है? देश के विचार के लिए हानिकारक है और आप भी क्यों सहमति जताते हैं कि यासीन मलिक को कम सजा हुई है? उसे फांसी ही होनी चाहिए थी?
एंकर के सवाल का जवाब देते हुए तस्लीम रहमानी कहते हैं कि जिसको अल्लाह ने जितनी उम्र दी है, मैं हूं या तुम हो या कोई भी हो उसको उतनी सांसें तो लेनी ही है। उसे पहले मौत नहीं आ सकती, लेकिन आज मैं सलाम करना चाहता हूं निर्मला जी को जो 32 साल से एक दुख अपने सीने में दबाकर बैठी हैं। उनको 32 साल के बाद भी इंसाफ नहीं मिला और बीजेपी ने उन लोगों के साथ अपनी सरकार बना ली जो इनके साथ खड़े थे। इसी दौरान तस्लीम रहमानी एंकर पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि आप यह कैसे कह सकते हो कि यासीन की सजा से पंडितों को सुकून मिला है।
इस पर अमिश देवगन डिबेट में शामिल फिल्ममेकर अशोक पंडित से पूछते हैं कि तस्लीम रहमानी कह रहे हैं कि यह लाइन कैसे बोली जा सकती है कि आज कश्मीरी पंडितों को सुकून मिला। इस पर अशोक पंडित, एमपीसीआई अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि तस्लीम रहमानी हिन्दुओं को हिंदू मानते ही नहीं, वह कश्मीरी पंडितों को इंसान समझते ही नहीं हैं।
अशोक पंडित आगे कहते हैं कि हम क्या चाहते हैं? यासीन मलिक को फांसी…फांसी का मतलब क्या? हैंग्ड अनटिल डेथ। ‘हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक यासीन मलिक को मौत तक फांसी नहीं दी जाती। उसने कश्मीरी पंडितों को मारा, बलात्कार किया और फांसी पर लटका दिया।