किसान आंदोलन से जुड़ी विवादित ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में बेंगलुरू की 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार कर लिया गया। 14 फरवरी को उन्हें दिल्ली की एक अदालत में पेश किया जहां कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा ने मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गई टूलकिट को एडिट कर सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाया है।
दिशा की गिरफ्तारी का विपक्षी नेताओं समेत तमाम लोग सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिशा की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि दिशा की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी दिशा की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। इसी बीच एक वर्ग दिशा की गिरफ्तारी को जायज बता रहा है। पत्रकार अमिश देवगन ने भी दिशा की गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए एक ट्वीट किया है।
उनका कहना है कि दिशा की उम्र का हवाला देकर लोग उसकी गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं, जो कि उनके हिसाब से सही नहीं है। सीपीआई (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) के नेता और जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का नाम लेते हुए अमिश देवगन ने ट्वीट किया, ‘ज़िंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए। 22 साल के कैप्टन सौरभ कालिया ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया था और आज कुछ लोग देश विरोधी ‘टूलकिट एडिटर’ की 21 साल की उम्र पर छाती पीट रहे हैं। वैसे देश 29 साल के कन्हैया कुमार की हरकतें भी भुला नहीं है।’
‘’ज़िन्दगी लम्बी नहीं, बड़ी होनी चाहिए।‘’ 22 साल के कैप्टन सौरभ कालिया ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया था और आज कुछ लोग देश विरोधी ‘टूलकिट एडिटर’ की 21 साल उम्र पर छाती पीट रहे हैं। वैसे देश 29 साल के कन्हैया कुमार की हरकतें भी भूला नहीं है।
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) February 15, 2021
अमिश देवगन के इस ट्वीट पर लोग भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। दीपक अग्रवाल ने अमिश देवगन से पूछा, ‘अच्छा कन्हैया कुमार ने क्या किया था? ये सरकार उनको अब तक फांसी क्यों नहीं दे पाई? क्यों नहीं चार्जशीट दाखिल कर पाई? केवल बकैती?’
ज़मीर मुनव्वर नाम के यूज़र लिखते हैं, ‘वो 21 साल की उम्र में ही सच बोलती है, और तुम इतने उम्र के होकर भी झूठ बोलते हो।’
जी डी शर्मा ने लिखा, ‘21 साल के ब्रिगेड अरुण खेत्रपाल ने अपने जीवन को बलिदान कर मात्र 3 सेकंड के अंदर भारत को पाकिस्तान से टैंक युद्ध में जीता दिया था। न जाने कितने कन्हैया कुमार और टूलकिट दिशा यहां आकर चले गए।’