Baba Ramdev: आयुर्वेद Vs एलोपैथी पर छिड़ी बहस के बीच बाबा रामदेव न्यूज 18 इंडिया पर अमिश देवगन के सवालों के जवाब देते दिखे। अमिश देवगन ने बाबा रामदेव से लाइव डिबेट में कहा कि आप पर IMA और एलोपैथी के कई जानकार आरोप लगा रहे हैं कि बाबा रामदेव अपनी दवाइयों और बिजनेस को बेचने के लिए ये सारा खेल खेलरहे हैं। सुबह सुबह वह योग शिविर लगाते हैं और एलोपैथी डॉक्टरों को गालियां निकालते हैं। उनको बुरा भला बोलते हैं। अपनी दवा कोरोनिल बेचने के लिए पतांजलि का टर्नओवर बढ़ाने के लिए आप ये करते हैं?
इस पर बाबा रामदेव ने रिएक्ट करते हुए कहा- न-न देखो, हमारे पास तो इतना सेटअप है कि हमारे पास जितनी डिमांड है हम उसी की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। आप हमारे 6 महीने का 1 साल का रिकॉर्ड देख लीजिए। हमारे पास में 5-6 करोड़ गोली बनाने की डेली की कपैसिटी है। हम फुलफिल नहीं कर पा रहे हैं। हमारा किसी को कोसना और नीचा दिखाना कैसे किसी का मकसद हो सकता है?
बाबा आगे बोले- मैं 90% डॉक्टरों का सम्मान करता हूं। पतंजलि में जो एलोपैथी की आवश्यक ट्रीटमेंट की जरूरत है, मैं उसकी अनुमति देता हूं। ऐलोपैथी में कहां है आप ये बताओ? मेरे पास ऐसे एमबीबीएस डॉक्टर्स भी हैं। भविष्य में अब मैडिकल का एक कॉलेज बनेगा। जहां आदर्श रूप में हम एमबीबीएस डॉक्टर्स भी तैयार करेंगे।
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भविष्य में पतंजलि MBBS और MD बनाने का एक मेडिकॅल कॉलेज खोलेगा, जहॉं ‘आदर्श’ रूप में हम MBBS और MD डाक्टर भी तैयार करेंगे -स्वामी रामदेव, योग गुरू@AMISHDEVGAN @yogrishiramdev #AarPaar pic.twitter.com/yspcUMhhpk— News18 India (@News18India) May 31, 2021
बाबा बोले- ‘भविष्य में पतंजलि में ‘आदर्श’ रूप में हम MBBS और MD डॉक्टर भी तैयार करेंगे।’ बाबा रामदेव ने इस दौरान ‘आयुर्वेद-एलोपैथी’ के मुद्दे पर आगे कहा कि IMA ‘ऐलोपैथी को ओझापैथी बनाने पर क्यों तुले हुए हैं?
बाबा ने पिछले दिनों एलोपैथी को लेकर जो कहा था उस पर उन्होंने कहा- ‘साधु, सन्यासी के मन में कोई दुराग्रह तो कतई नहीं होता, सत्याग्रह जरूर होता है।’ तो वहीं कोविड परिस्थिती को लेकर वे बोले- ‘कोविड से मौत नहीं हो रही है, मौत हो रही है कमज़ोर फेफड़े वालों की।’
बाबा रामदेव आगे बोले- ‘मैं आज राजनैतिक रूप से ना ‘पक्ष’ में ना ‘विपक्ष’ में, ‘निष्पक्ष’ हूं। IMA की आप पूरी लिस्ट उठाकर देखों इसके अंदर आपको 90 प्रतिशत लोग पॉलिटिकॅल मिलेंगे। IMA पूरे मेडिकल साइंस का रिप्रेजेंटेशन नहीं करता है, ये तो अंग्रेजों के समय का बनाया हुआ ‘NGO’ है।