मशहूर गीतकार जावेद अख्तर अकसर ही लाइमलाइट का हिस्सा बने रहते हैं। वह लगभग हर मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। जावेद अख्तर ने हाल ही में एक सीन को लेकर फिल्म ‘एनिमल’ की आलोचना की थी।
उन्होंने एनिमल की सफलता को खतरनाक बताया था। इसले अलावा उन्होंने इंटरव्यू में उन्होंने फिल्मों में महिलाओं को मिलने वाले रोल के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि श्रीदेवी, हेमा मालिनी और माधुरी दीक्षित भले ही अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्रियां रही हो, लेकिन उनको कभी भी बड़ा रोल नहीं मिला।
इसके अलावा उन्होंने यश राज की फिल्म ‘जब तक हैं जान’ पर भी नाराजगी जाहिर की, जिसमें अनुष्का शर्मा अलग-अलग राष्ट्रीयता के पुरूषों के साथ सोने की बात करती दिखीं थीं। उन्होंने अपने बयान पर इस बात पर जोर दिया है कि फिल्म निर्माताओं को इस बात की स्पष्ट समझ नहीं है कि एक मजबूत महिला वास्तव में कैसी दिखती है, यही वजह है कि एक्ट्रेस को अच्छे रोल नहीं मिलते हैं।
जावेद अख्तर ने माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी को लेकर क्या कहा
जावेद अख्तर ने एबीपी माझा को दिए इंटरव्यू में कहा कि “आज के दौर में नई महिला कौन है? इस बारे में किसी को पता ही नहीं है। उदाहरण के लिए श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित, जैसी कई टैलेंटेड एक्ट्रेसस थीं, लेकिन उनको कभी भी बड़ा रोल नहीं मिला है, जोकि मदर इंडिया, बंदिनी, सुजाता और साहिब बीबी और गुलाम जैसी आइकॉनिक हो जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग नहीं जानते कि एक आदर्श महिला क्या होती है। आज कल तरह तहर के प्रयोग हो रहे हैं। ऐसे में जब फिल्म निर्माता एक सशक्त महिला की छवि बनाने की कोशिश करते हैं, तो वे हास्यास्पद हो जाते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि एक सशक्त महिला क्या होती है।”
शाहरुख खान की फिल्म पर साधा निशाना
गीतकार ने आगे यश चोपड़ा की फिल्म का उदाहरण देते हुए कहा कि “शाहरुख खान, कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा स्टारर फिल्म जब तक हैं जान में हीरोइन कहती हैं कि शादी करने से पहले मैं सभी देश के पुरूषों के साथ सोऊंगी। सशक्त होने के लिए इतना कुछ नहीं करना पड़ता। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मॉडर्न महिला दिख रही है। पता ही नहीं है कि सशक्त महिला का मतलब क्या है। इसलिए आज के समय में महिलाओं को अच्छे रोल नहीं मिल रहे हैं। जब फिल्म में मर्द गाना गाएं , डांस करें या एक्शन करें तब ही फिल्म पूरी होती है। फिल्ममेकर या राइटर को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कॉन्टेंट क्या है। जिस तरह की फिल्में लोगों को पसंद आ रही हैं, वैसी ही बन रही हैं।”