पत्रकार से फिल्मकार बने विनोद कापड़ी की फिल्म ‘पीहू’ का ट्रेलर 23 अक्टूबर को रिलीज हुआ था। फिल्म का ट्रेलर जितना शानदार और सस्पेेंस से भरा है, इसकेे बनने की कहानी उससे कम दिलचस्प नहीं है। ‘पीहू’ का जन्म दो कारणों से हुआ। एक तो, कॉन्सेप्ट फिल्म बनाने की डायरेक्टर की मंशा और दूसरा, पैसों की कमी। ‘पीहू’ के डायरेक्टर के दिमाग में जन्म लेने से पर्दे पर पहुंचने तक में करीब तीन साल का वक्त लग गया। जबकि, शूटिंंग करीब 40 दिनों में पूरी हुई। एक वक्त तो ऐसा आया जब डायरेक्टर के मन में शंका थी कि फिल्म शायद पूरी ही न हो पाए और 12-13 लाख रुपए खर्च करने के बाद पैक अप करना पड़े। इसकी वजह यह चुनौती थी कि दो साल की बच्ची के साथ कैसे पूरी फिल्म की शूटिंंग की जाए। पर, यह शंका निराधार साबित हुई और अब फिल्म 16 नवंबर को पर्दे पर आ चुकी है।
‘पीहू’ इकलौते किरदार वाली फिल्म है। इसकी किरदार दो साल की बच्ची है। कापड़ी ने जब बच्ची को अपनी फिल्म के लिए देखा तब उसकी उम्र महज 1 साल 10 महीने की थी। यह बच्ची उनके मित्र रोहित विश्वकर्मा की बेटी है। रोहित पेशे से पत्रकार हैं। एक फेसबुक लाइव में फिल्म के डायरेक्टर विनोद कापड़ी ने बताया , ”मेरा बजट बेहद कम था। इसीलिए मैंने कम बजट वाली फिल्म पर विचार किया। यही वजह है कि पीहू का जन्म हुआ। आमतौर पर फिल्मों में स्टार्स की फीस करोड़ों में होती है। मैंने सोचा कि क्यों न एक ऐसी फिल्म का निर्माण किया जाए जिसे लोग उसके स्टार की वजह से नहीं बल्कि उसके कॉन्सेेप्ट की वजह से जानें।”
‘पीहू’ की मेकिंग से जुड़ी एक दिलचस्प बात है कि पूरी यूनिट शॉट के लिए इंतजार करती थी। कब बच्ची का मूड हो और शॉट ओके हो जाए, यह चिंंता हमेशा यूनिट को सताती थी। कैमरामैन बेड के नीचे, पर्दे के पीछे छिप कर बच्ची को शूट किया करते थे। कई बार उसकी मां प्रेरणा ट्रिक्स बताती थीं कि इस तरह बच्ची से शॉट ओके करवाया जा सकता है। बच्ची की आदतों या हरकतों के आधार पर फिल्म की कहानी में भी मामूली फेरबदल किया गया। विनोद कापड़ी ने बताया, ”दो साल की बच्ची से आप एक्टिंग नहीं करा सकते। इसलिए मैंने जब बच्ची का चुनाव किया तब उसके साथ तीन-चार महीने बिताया। मैंने उसकी हरकतों को नोटिस किया। मैंने देखा कि बच्ची बालकनी में जाकर अपनी आवाज में लोगों को आवाजें देती हैं। हालांकि उसकी आवाज को कोई समझ नहीं सकता। फिल्म में करीब 9 मिनट का बालकनी सीन है जो इस कारण ही शूट हो सका क्योंकि बालकनी में जाना बच्ची की आदत में शुमार था। मैं उसकी हरकतों को कैप्चर करता रहता और उसी हिसाब से फिल्म की कहानी को भी गढ़ता रहता।”
एक सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म के ट्रेलर में एक सीन है जिसमें पीहू खुद को फ्रिज में बंद कर लेती है। इस सीन को शूट करने में विनोद कापड़ी को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। विनोद ने बताया कि फ्रिज वाले सीन को शूट करने के लिए 2 घंटे का शेड्यूल रखा गया था, लेकिन पूरा दिन लग गया। पीहू फ्रिज में बैठने को तैयार ही नहीं थी। कापड़ी ने कहा, ”यह बहुत मुश्किल सीन था। बच्ची को फ्रिज तक लाना मुश्किल काम था। हमलोग उसके साथ खेलने लगे। एक-दो बच्चे और बुला लिए। सब खेलते थे, फ्रिज के पास, फ्रिज में बैठते थे। तब बच्ची को लगा कि फ्रिज में बैठना भी कोई खेल है। तब जाकर वह शूट हुआ। हमने दो घंटे का शेड्यूल रखा था, पर पूरा दिन लग गया।”
फिल्म के ट्रेलर को 26 अक्टूबर की दोपहर ढाई बजे तक 34 लाख व्यूज मिल चुके थे।
‘पीहू’ के निर्माण में विनोद के दोस्त किशन कुमार (जो अब दुनिया में नहीं रहे) ने काफी मदद की। जब वह फिल्म प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हुए तो उनके पास करीब 50 लाख रुपए ही थे। इस पर भी विनोद ने उन्हें बता दिया कि उनके 10-12 लाख रुपए डूब सकते हैं। फिर भी उन्होंने हाथ नहीं खींचे और कहा कि डूब जाए तो कोई चिंता नहीं। इससे विनोद का भी हौसला काफी बढ़ा। विनोद ने कहा, ”मुझे डर था कि बच्ची ने यदि सहयोग नहीं किया तो फिल्म पूरी शूट नहीं हो पाएगी और 10-12 लाख रुपए डूब जाएंगे।”