देश में कोरोना संकट से निपटने की कोशिशें जारी हैं। वहीं इस महामारी के बीच किसान आंदोलन अपनी जगह से नहीं हिला है। ऐसे में एबीपी की एंकर और पत्रकार रोमाना खान राकेश टिकैत से सवाल करते हुए पूछती हैं कि आखिर किसान बात क्यों नहीं मान रहे हैं, सरकार ही उनकी बात क्यों मानें?
रोमाना ने कहा- ’26 किसानों का काला दिवस , किसान कह रहे हैं 6 महीने से बैठे हुए हैं। सरकार सिर्फ बोल ही रही है हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है। हम तो विरोध करेंगे।’ रोमाना आगे कहती हैं- ‘लेकिन ये महामारी कोरोना काल है। इसकी वजह से देश में अब तक 3 लाख मौतें हो चुकी हैं। आप विरोध कीजिए लेकिन वक्त और माहौल तो देखिए?’
इस पर राकेश टिकैत पत्रकार को जवाब देते हैं- ‘आप ये बात सरकार को भी तो कह दो ना एक बार! आप ये कहो उन्हें- कोरोना काल चल रहा है, आप जो ये कानून लाए थे वापस लेलो उनको। फिर कोई दिक्कत नहीं होगी। अगर किसान नहीं मान रहे तो सरकार तो मान सकती है?’
रोमाना इस बीच सवाल करती हैं- सरकार क्यों माने, तो राकेश टिकैत भी अड़ जाते हैं और कहते हैं कि हम क्यों मानें? रोमाना जवाब देती हैं- सरकार तो चुनी हुई सरकार है! राकेश कहते हैं- हमारा भी संगठन है, हम भी विरोध कर रहे हैं। हमारा अधिकार है, सड़क पर आंदोलन करने का। तो शांतिपूर्ण ढंग से हम अपना काम कर रहे हैं।
#Hunkaar: किसान आंदोलन के आगे का रास्ता क्या है?
किसान नेता @RakeshTikaitBKU EXCLUSIVE
देखिए, ‘हुंकार’ @romanaisarkhan के साथ LIVE pic.twitter.com/6KI64PnFlw
— ABP News (@ABPNews) May 25, 2021
रोमाना इसके बाद कहती हैं- मैं आपके साथ हूं, लेकिन मैं फिर दोहराती हूं कि ये महामारी का वक्त है सर। इस पर राकेश टिकैत उल्टा जवाब देेते हैं, इतनी बात सरकार के लोग बैठकर करें ना। चैनल के लोग इतना परेशान क्यों हो रहे है? सरकार हमसे बात नहीं कर रही तो हम भी कहां बात कर रहे हैं सरकार से? रोमाना कहती हैं- सरकार ने आपको बुलाया नहीं आप ने तो बात करने के लिए चिट्ठी लिखी थी। आप ही उसमें कह रहे थे कि बुला लो हमें हम बात करना चाहते हैं।
राकेश टिकैत जवाब में कहते हैं- हां तो ठीक है, नहीं बुलाया तो। हम भी कहां जा रहे हैं अंदर। अपनी बात को पूरा करते हुए राकेश टिकैत ने आगे कहा- ना- ना प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक फोन कॉल की दूरी पर हैं। हम आपसे बात करेंगे। तो हमने चिट्ठी लिख दी। हमने कह दिया कि हम बात करना चाहते हैं। जहां से बातचीत खत्म हो गई थी वहीं से शुरू होगी।
रोमाना पूछती हैं- बाकि किसानों को तो दिक्कत है नहीं बाकि जो ये कह रहे हैं वो अपनी पॉलिटिकल पावर दिखाने के लिए कर रहे हैं। इस पर राकेश टिकैत कहते हैं- भाई कोई बात नहीं, मुट्ठी भर लोगों पर फायरिंग करवा कर मरवादों इनको। 28 तारीख को यही तो कर रहे थे ये। राकेश ने आगे कहा- ये वैचारिक क्रांति है, दुनिया में जो भी वैचारिक क्रांति हुई है वो विचार से ही खत्म होगी। जो किसान 6 महीने तक आंदोलन करने बैठ सकते हैं वो अगले 6 महीने और बैठेगा।

