Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: फैंस का इंतजार खत्म हो चुका है, विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ आज यानी 11 जुलाई को थिएटर में रिलीज हो चुकी है। ये शनाया का बॉलीवुड डेब्यू है और पहली ही फिल्म में उन्होंने ये बता दिया कि वो इंडस्ट्री की बेस्ट एक्ट्रेसेस में से एक बनने वाली हैं। वहीं बात विक्रांत मैसी की करें तो वो हर किरदार में जान फूंक देते हैं, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी एक्टिंग दिल को छू लेने वाली हैं।

Aankhon Ki Gustaakhiyan Review LIVE

क्या है कहानी?

फिल्म में विक्रांत मैसी ने एक ब्लाइंड म्यूजिशियन का किरदार निभाया है, जिसका नाम जहान है, वो अपने संगीत के जरिए दुनिया को महसूस करता है। इसमें शनाया ने एक थिएटर आर्टिस्ट का करिदार निबाया है, जिसका नाम शबा शेरगिल है और वो अपने सपनों के पीछे भाग रही है। इनकी जिंदगी में ट्रेन का एक छोटा सा सफर बड़ा टर्निंग प्वाइंट बन जाता है। वो इस सफर में जीवनभर की यादें बना लेते हैं। दोनों एक दूसरे के लिए खास बन जाते हैं। मगर कहते हैं ना लाइफ इतनी आसान नहीं होती। ऐसा ही एक मोड़ दोनों की कहानी में भी आता है।

कैसी है विक्रांत और शनाया की एक्टिंग?

विक्रांत ने फिल्म में एक ब्लाइंड लड़के का रोल किया है और उनकी आंखों को ज्यादा हरकत में नहीं दिखाया है, लेकिन बावजूद इसके उनकी आवाज, चेहरे के हावभाव से ये दर्शकों को ये एहसास कराने की कोशिश की गई है कि उनके लिए बिना देखे ही दुनिया कितनी खूबसूरत है। वहीं बात अगर शनाया की करें तो ये उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म है। इंडस्ट्री के लिए उनका चेहरा फ्रेशनेस का काम करने वाला है। फिल्म में उनकी मासूमियत साफ दिखाई दे रही है। कहीं-कहीं उनकी डायलॉग डिलीवरी वीक पड़ती है, लेकिन उनकी स्क्रीन प्रेजेंस के आगे ये कमियां छिप जाती हैं। फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री कमाल है और उनकी जोड़ी भी काफी जच रही है।

फिल्म का डायरेक्टशन और म्यूजिक

फिल्म का निर्देशन संतोष सिंह ने किया है और उन्होंने एक आम सी कहानी को बेहद खूबसूरत तरीके से पर्दे पर उतारा है। छोटे-छोटे सीन, एक्टर्स के इमोशन को बेहतरीन तरीके से कैमरे की मदद से दर्शकों तक पहुंचाया गया है। DOP, विजुअल, फ्रेमिंग सब अच्छी है। प्रोडक्शन की बात करें तो फिल्म का निर्माण मानसी बागला और वरुण बागला ने ज़ी स्टूडियोज़, मिनी फिल्म्स और ओपन विंडो फिल्म्स के बैनर तले किया है। फिल्म की कहानी भी मानसी बागला ने ही लिखी है।

इसकी शुरुआत बहुत अच्छी है, लेकिन कुछ समय के लिए कहानी थोड़ी स्लो लगने लगती है, मगर सेकंड हाफ रफ्तार पकड़ लेता है।फिल्म का म्यूजिक विशाल मिश्रा ने दिया है। टाइटल ट्रैक ‘आंखों की गुस्ताखियां’ जुबिन नौटियाल ने गाया है।

क्यों देखें फिल्म?

फिल्म में कुछ हंसी के पल भी हैं और कुछ इमोशनल भी। इसकी कहानी धीरे-धीरे खुलती है, जो दर्शकों के दिल पर गहरी छाप छोड़ देने वाली है। फिल्म के डायलॉग और एक-एक सीन आपकों कुर्सी से बांधे रखेगा। 2 घंटे 20 मिनट की ये फिल्म एक पल के लिए भी आपको बोर नहीं होने देती। ये एक फुल पैसा वसूल फिल्म है।