कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत के लोकतंत्र पर दिए गए एक बयान पर काफी विवाद हुआ है। राहुल गांधी ने दो विदेशी सस्थाओं की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा था कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा। राहुल गांधी ने द फ्रीडम हाउस और वी- डेम इंस्टीट्यूट के रिपोर्ट्स के आधार पर अपनी बात कही थी। हाल ही में स्वीडन की वी- डेम इंस्टीट्यूट ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ‘चुनावी निरंकुशता’ (Electoral Autocracy) वाला देश बन गया है। अमेरिका की फ्रीडम हाउस संस्था ने भी भारत को ‘स्वतंत्र’ से डाउनग्रेड कर ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ करार दिया है।

इन्हीं रिपोर्ट्स पर राहुल गांधी के अपनी बात कही जिस पर सत्ताधारी दल के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। इसी मुद्दे पर आज तक के डिबेट शो, ‘दंगल’ पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के बीच बहस हो गई। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी शासित उत्तराखंड में दो- दो सीएम बदल गए, किसानों के खिलाफ एनआईए लगाया जा रहा है, बीजेपी लोकतंत्र को कमज़ोर कर रही है। उनकी इन बातों का जवाब देते हुए संबित पात्रा बोले, ‘कुछ संस्थाएं हैं, पाकिस्तान को ये अच्छा नहीं लगता है, चीन को ये अच्छा नहीं लगता है, वो तो ये रिपोर्ट देंगे ही।’

संबित पात्रा ने आगे कहा, ‘अगर किसी आतंकवादी को भी सजा दी जाती है तो कांग्रेस पार्टी को लगता है कि ये अलोकतांत्रिक है। इनके हिसाब से भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह कहने वाले लोगों को बिल्कुल खुला छोड़ देना चाहिए। हमारी सरकार 303 सीट लेकर आई है, जो लोग देश को तोड़ने चाहते हैं, हम उनके खिलाफ कारवाई करेंगे। हम ये 303 सीट मच्छर मारने के लिए नहीं लाए हैं। हम यहां पर हाथ- पैर जोड़कर दूसरों के पैर दबाने नहीं आए हैं। हम सेवा हिंदुस्तानियों की करेंगे।’

 

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019  में बीजेपी ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी। डिबेट के दौरान संबित पात्रा ने राहुल गांधी के लोकतंत्र वाले बयान पर भी निशाना साधा और कहा कि विदेशी संस्थाओं के रिपोर्ट पर हम इंडियंस क्यों डिबेट कर रहे हैं।

 

उनकी इस बात पर सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘संबित पात्रा ने तीन चार दिन पहले मुझे यह नसीहत दी थी कि अगर आपको ये नहीं पसंद तो आपको इस शो पर नहीं आना चाहिए था, अगर आप इस मुद्दे पर आज डिबेट नहीं करना चाहते थे तो आप भी शो पर न आते।’ सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी चुनी हुई सरकारों की खरीद- फरोख्त करती है और उसे चाणक्य नीति कहती है, ये सरासर अलोकतांत्रिक है।