सलमान खान को लेकर आदित्य चोपड़ा ने ‘टाइगर 3’ की घोषणा की है जो ‘एक था टाइगर’ और ‘टाइगर जिंदा है’ की तीसरी कड़ी होगी। इस समय बॉलीवुड में ‘दोस्ताना 2’, ‘बागी 4’, ‘कृष 4’, ‘बंटी और बबली 2’, ‘अपने 2’, ‘गो गोवा गोन 2’ जैसी कई सीक्वेल फिल्में बन रही हैं। एक तरह से बॉलीवुड के रथ का पहिया तो पुरानी फिल्मों की रीमेक या हिट फिल्मों की सीक्वेल के गड्ढे में फंसा है।
आओ सीक्वेल बनाएं। चोखा धंधा है। एक सीक्वेल कम से कम पांच सौ करोड़ देकर जा रही है। ‘धूम’ शृंखला की तीन फिल्मों ने आठ सौ करोड़ कमा कर पटक दिए। ‘बाहुबली’ ने दो किश्तों में ही ढाई हजार करोड़ का धंधा कर लिया। सलमान खान ने पुलिस की वर्दी पहनकर दबंगई दिखाई तो तीन ‘दबंग’ फिल्मों का कारोबार हजार करोड़ के पास पहुंच गया। बाकी फुटकर फिल्मों का हाल तो पूछिए ही मत। ‘बागी’, ‘कृष’, ‘रेस’, ‘हाउसफुल’, ‘गोलमाल’ जैसी फिल्मों ने 500-500 करोड़ से ज्यादा पीटे। बस आपको टेक्नीक आनी चाहिए।
ज्यादा कुछ करना नहीं है। एक संतरे का जूस निकालिए। जो छूछा बचा है उसमें पानी डाल कर घुमा दीजिए। जरा सी चीनी-बरफ डालिए। फिर जूस तैयार। इसी तरह चीनी-बरफ डालते रहिए और जूस बनाते रहिए। दरअसल फिल्मी धंधा हलवाई के धंधे जैसा हो गया है। चाश्नी में गुलाब जामुन डुबो दो। मिठाई की दुकान शक्कर से चलती है, बॉलीवुड सीक्वेल से चल रहा है।
शक्कर की चाश्नी बनाइए। उसमें गुलाब जामुन डाल दीजिए। गुलाम जामुन बिकने पर बची चाश्नी को गरम कर उसमें जलेबी निकाल लो। फिर भी चाश्नी बचती है तो उसमें कलाकंद ढाल दो। सभी मिठाई शक्कर से बनती हैं मगर सबका टेस्ट और नाम अलग होता। हलवाई शक्कर मैया की जय बोलता है फिल्मवाले सीक्वेल मैया की जय बोल रहे हैं।
फंडा सीधा है। दौड़ते घोड़े की पूंछ से जिसको बांधोगे, वह भी दौडेÞगा। यह पुराना तरीका ही है और बोलती फिल्मों से ही शुरू हो गया था। ‘हंटरवाली’ (1935) हिट हुई थी, तो वाडिया बंधुओं ने ‘हंटरवाली की बेटी’ (1943) बना डाली। दोनों चल गर्इं और शुरू हो गया सीक्वेल फिल्मों का धंधा, जो आज फिल्म परिवार का सबसे कमाऊ पूत है।
यशराज फिल्म्स मुंबइया फिल्मवालों की नाक है जिसने हाल ही में ‘एक था टाइगर’, ‘टाइगर जिंदा है’ के बाद इसकी सीक्वेल ‘टाइगर 3’ की घोषणा की। दो टाइगर फिल्में 900 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा चुकी हैं। टाइगर (सलमान खान) भारतीय रॉ एजंट है। वह पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ की एजंट जोया (कैटरीना) से टकराता है। दोनों प्रेम करते हैं। शादी करते हैं। एक बच्चा भी पैदा करते हैं और 900 करोड़ यशराज फिल्म्स के अकाउंट में डलवा देते हैं। अब तीसरी फिल्म ‘टाइगर 3’ में लेखक आदित्य चोपड़ा दोनों को फिर किसी मिशन पर भेजना चाहते हैं।
यशराज फिल्म्स और करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शंस जैस कंपनियां आधुनिक फिल्म फैक्टरियां हैं, जो फिल्में बनाती नहीं उगलती हैं। इतनी फिल्मों के लिए कहानियां कहां से लाएं। तो हो यह रहा है कि करण जौहर अपने पिता की 1980 में बनाई ‘दोस्ताना’ को ‘दोस्ताना’ नाम से ही 2008 में बनाते हैं और अब उसकी सीक्वेल ‘दोस्ताना 2’ बना रहे हैं। वे पिता की 1990 में बनाई ‘अग्निपथ’ को 2012 में फिर ‘अग्निपथ’ नाम से बना कर ढाई सौ करोड़ का धंधा कर डालते हैं। जौहर क्या करें।
आजकल सभी यही कर रहे हैं लिहाजा हिंदी सिनेमा या तो रीमेक से चल रहा है या सीक्वेल से। उसके रथ का एक पहिया सीक्वेल और दूसरा रीमेक के गड्ढे में फंस चुका है। गड्ढे से पहियों का बाहर निकलना मुश्किल है।
