विक्रांत मैसी और तापसी पन्नू की फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ नए टेस्ट और फ्लेवर के साथ रिलीज की गई है। इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया जा रहा है। इसमें तापसी और विक्रांत के साथ एक्टर सन्नी कौशल और जिम्मी शेरगिल भी हैं। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर मिला-जुला रिएक्शन मिल रहा है। दर्शक कह रहे हैं कि ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ पहले वाले पार्ट जैसा दम नहीं है। ऐसे में आपको फिल्म के उन प्वॉइंट्स के बारे में बता रहे हैं, जो मूवी की कड़ी को कमजोर बनाते हैं। इसमें काफी कुछ कमी देखने के लिए मिली है। चलिए बताते हैं…

कहानी में दो किरदारों की एंट्री, मगर नयापन नहीं

विक्रांत मैसी और तापसी पन्नू स्टारर फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ की कहानी में कुछ नया नहीं है। इसमें ‘हसीन दिलरुबा’ की आगे की कहानी को दिखाया गया है, जिसमें तापसी पुराने प्यार को ना छोड़ पाती हैं और ना ही नया कुछ शुरू कर पाती हैं। इसकी वजह से कहानी में नयापन नहीं होता है। तापसी (रानी) और विक्रांत (रिशु) अपने मिलन के लिए जद्दोजहद करते हैं। इसी बीच सन्नी कौशल (अभिमन्यु) की एंट्री होती है। वो रानी के प्यार में होते हैं और रानी, रिशु के। वहीं, रिशु से पूनम (एक्ट्रेस भूमिका दुबे) शारीरिक संबंध बनाने के लिए उतावली होती है। जिम्मी शेरगिल, रिशु की तलाश में जद्दोजहद कर रहे होते हैं। इन सबके बीच सन्नी कौशल का किरदार ज्यादा दमदार लगता है। इसकी कहानी आगरा में ही सिमट कर रह जाती है।

विक्रांत मैसी की एक्टिंग की कमी खली

फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ की कहानी विक्रांत मैसी और तापसी पर आधारित थी। इसमें विक्रांत ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया था। अभिनय के लिए जाने-जाने वाले विक्रांत की फिल्म के सीक्वल में कमी खलती है। वो इसमें सिर्फ पुलिस से खुद को छुपाते नजर आते हैं। उनकी जगह पर साइको बने सन्नी कौशल का किरदार ज्यादा दिलचस्प लगता है।

मिस करेंगे तापसी पन्नू का ‘रंगीन’ कैरेक्टर

वहीं, ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में तापसी पन्नू का रोल भी फिल्म के नाम के हिसाब से थोड़ा अलग-थलग दिखा। फिल्म के नाम के हिसाब से तापसी यानी कि रानी का किरदार हसीन और रंगीन होना चाहिए। लेकिन, वो इस कैरेक्टर को जरा भी जस्टिफाई नहीं कर पाईं। वो अपने शानदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं लेकिन, रानी का कैरेक्टर फिल्म में खिला नहीं।

डायरेक्शन में दिखी कमी

डायरेक्टर जयप्रद देसाई ने ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ का निर्देशन किया है। फिल्म का फर्स्ट हाफ मजबूत है लेकिन सेकेंड हाफ में काफी कमी दिखी। सेकेंड हाफ में कहानी काफी धीमी पड़ जाती है मगर फिल्म का क्लाइमैक्स थोड़ा असर होता है। अगर आपने पहला पार्ट नहीं देखा है तो इसका क्लाइमैक्स पसंद आएगा। वहीं, अगर फिल्म के शौकीन नहीं हैं कभी-कभार फिल्म देख लेते हैं तो ठीक-ठाक लगेगी मगर फिल्मों को देखते हैं पसंद करते हैं तो यकीन मानों खास पसंद नहीं आने वाली है। फिल्म की कुछ कड़ियां कमजोर हैं, लगेगा कि क्यों ही इसे डाला गया है। इसके बिना भी काम किया जा सकता था।

सस्पेंस भरपूर मगर रोमांस के नाम ठगा

तापसी और विक्रांत की फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में सस्पेंस तो भर-भर कर डाला गया है, जो कि कहानी के आगे बढ़ने के साथ ही खुलते रहते हैं। दिनेश पंडित की किताब के अनुसार क्राम को अंजाम देना और फिर पुलिस का इसी के आधार पर मुजरिम की तलाश करना, ये सबकुछ जरा पचता नहीं है। वहीं, फिल्म के नाम में ‘हसीन दिलरुबा’ है। इससे लगता है कि तापसी का मजबूत किरदार होगा लेकिन, रोमांस के नाम पर ठगा सा लगता है। रोमांस के नाम पर विक्रांत और तापसी का एक जगह किस सीन दिखाया गया है जो कि लगता है जबरदस्ती फिल्माया गया हो।

फिल्म में देखने लायक क्या है?

अगर फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में देखने लायक क्या है कि बात की जाए तो इसमें आप सन्नी कौशल की एक्टिंग देख सकते हैं। उन्होंने साइको लवर की शानदार भूमिका निभाई है, जो कि विक्रांत और तापसी के कैरेक्टर पर भारी पड़ता है। इसे आप पसंद करेंगे। बाकी फिल्म में सस्पेंस है, जो कि आपको फिल्म के आखिरी तक जोड़े रखता है। फर्स्ट पार्ट देखा है और आगे की कहानी को देखा चाहते हैं तो देख सकते हैं। मगर, ये उम्मीद मत करके देखना कि तापसी और विक्रांत का कैरेक्टर आपको इंप्रेस करेगा। फिल्म में सबसे बेहतरीन ये था कि साल 1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘कर्ज’ का गाना ‘एक हसीना थी… एक दीवाना था…’ सीन को दिलचस्प बनाता है।