कन्नड़ के लोकप्रिय अभिनेता सुदीप को आम तौर पर किच्चा सुदीप के नाम से जाना जाता है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार वहीं हैं, बाकी सब आजूबाजू के लोग बनके रह गए हैं। यहां तक कि जैक्लीन फर्नांडीस भी इसमे इसलिए रखी गई हैं कि उन पर एक आइटम गीत फिल्माया जा सके।

बहरहाल, मुद्दे की बात ये है कि विक्रांत रोणा नाम की ये फिल्म हिंदी के अलावा कई दक्षिण भारत की कई भाषाओं में बनी है और सुदीप ने इसमें विक्रांत रोणा नाम के ऐसे पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई है जो एक एक गांव के थाने में तैनात होकर आया है जहां बच्चों की कई हत्याएं हो गई हैं और साथ ही एक पुलिस अधिकारी की भी। उस पुलिस अधिकारी की जो पहले इस गांव मे तैनात था और उसकी सिर कटी लाश ही मिल पाई थी। विक्रांत को उस हत्यारे को खोजना है। यानी यह एक हारर -थ्रिलर फिल्म है। 28 बरसों के अंतराल में घटी बदले की दो कहानियां यहां आपस में मिला दी गई हैं।

कहानी तो वैसे पुराने किस्म की है लेकिन इसका विशेष आकर्षण इसका थ्री डी में होना है। इसी कारण फिल्म में चलने वाले खंजर या चाकू दर्शक को अपने सीने तक आते हुए लगते हैं। हां, इसमें दर्शक को एक बच्ची भी दिखती है लेकिन दरअसल में वो होती ही नहीं है और ये राज भी अंत में ही खुलता है।

हां, ये जरूर हुआ है कि इस बच्ची की वजह से दर्शक को हमेशा ये लगता है कि आखिर ये यहां क्यों दिख रही है। जाति प्रथा और उससे उपजी सामाजिक विषमता को भी इसमें दिखाया गया है लेकिन ये पहलू पूरी तरह नहीं उभरता क्योंकि अंत तक आते आते फिल्म में जो एक्शन है वो कुछ कुछ सलमान खान जैसा है ऐसा इसलिए है कि उन्होंने यानी सलमान ने ही इस फिल्म को हिंदी में पेश किया है। फिल्म थोड़ी लंबी हो गई है। कम से कम आधा घंटा।