राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में ईवीएम के साथ-साथ वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाइड पेपर आॅडिट ट्रेल) मशीन का भी उपयोग किया जाएगा। ये वीवीपीएटी मशीनें उत्तर प्रदेश से दिल्ली उपचुनाव के लिए लाई गई हैं। सूत्रों के अनुसार इसके लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय की तरफ से जनता को वीवीपीएटी और मतदान प्रक्रिया से जागरुक करने के लिए मतदान (9 अप्रैल) के एक दिन पहले विज्ञापन भी जारी किए जाएंगे। दिल्ली की चुनावी गहमागहमी एक बड़ा मुद्दा यह भी बना हुआ है कि चुनाव का माध्यम (ईवीएम या मतपत्र) क्या हो बावजूद इसके की उपचुनाव और नगर निगम चुनाव, दोनों ही ईवीएम से होने तय हैं। लेकिन उपचुनाव, निगम चुनाव से थोड़ा अलग होने जा रहा है क्योंकि यहां ईवीएम के साथ-साथ वीवीपीएटी मशीनें भी लगाई जाएंगी। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कि राजौरी गार्डन विधानसभा के 35 जगहों पर स्थित सभी 166 बूथों के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी मशीन उपयोग में लाई जाएंगी। केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबिक इसके लिए उत्तर प्रदेश से 250 वीवीपीएटी मशीनें दिल्ली भिजवाई गई हैं।
दिल्ली निर्वाचन कार्यालय मतदाताओं को वीवीपीएटी और बूथ पर मतदान की पक्रिया से अवगत कराने के लिए एक विज्ञापन भी जारी करने जा रहा है। 8 अप्रैल को जारी किए जाने वाले इस विज्ञापन में बताया जाएगा कि मतदाता ईवीएम पर उम्मीदवार के सामने वाले बटन दबाने के साथ उसी समय साथ लगे प्रिंटर (वीवीपीएटी) की स्क्रीन पर अपने द्वारा चुने गए उम्मीदवार की क्रम संख्या, नाम और चुनाव निशान देखकर संतुष्टि करें।
चुनाव में वीवीपीएटी का यह उपयोग दिल्ली के लिए नया नहीं है। दिल्ली के चुनाव में वीवीपीएटी का उपयोग इसके पहले भी 2015 और 2013 के विधानसभा चुनावों में कुछ क्षेत्रों में हो चुका है। 2013 के चुनाव में नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र और 2015 के चुनाव में दिल्ली कैंट और नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया गया था। निगम चुनावों में वीवीपीएटी के न इस्तेमाल के सवाल पर राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि इस चुनाव के लिए जो ईवीएम मशीनें उपयोग में लाई जा रही हैं, वह वर्ष 2006 के पहले की हैं जिनके साथ वीवीपीएटी का उपयोग नहीं हो सकता है। केंद्रीय चुनाव आयोग के पास 53,500 वीवीपीएटी मशीनें उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कई जगहों पर किया गया था और अब इन्हें उपचुनावों के लिए भेजा गया है। इस मशीन से एक पर्ची निकलती है जिसमें दर्ज होता है कि किस उम्मीदवार को मत डला है, इस तरह से हरेक उम्मीदवार को डले हरेक मत का लिखित रिकॉर्ड भी होता है जिससे ईवीएम में यदि बाद में कोई बदलाव का आरोप लगता है तो ईवीएम में दर्ज वोटों की तुलना वीवीपीएटी की पर्ची के साथ की जा सकती है। वीवीपीएटी से वोटर आश्वस्त होता है कि उसका मत किसे गया है और ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है। 9 अप्रैल को होने वाले राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव के लिए 6 उम्मीदवार मैदान में हैं।