उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार चार साधु संतों की राजनीतिक इज्जत दांव पर लगी है। इनमें तीन संत मौजूदा विधानसभा के विधायक हैं। तीन संत दूसरी बार तथा एक संत तीसरी बार अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं। तीन संत भाजपा और एक संत कांग्रेस से चुनाव मैदान में है।
भारतीय जनता पार्टी से कद्दावर नेता राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद और दलित समुदाय के रविदासाचार्य कथावाचक सुरेश राठौर और कांग्रेस से श्री पंच दशनाम अग्नि अखाड़ा के संत सतपाल ब्रह्मचारी चुनाव मैदान में हैं।
प्रेम नगर आश्रम के मुख्य अधिष्ठाता सतपाल महाराज भाजपा के टिकट पर पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टा खाल विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे 2017 में इस विधानसभा क्षेत्र से 7 हजार 354 वोटों से जीते थे। पौड़ी गढ़वाल उनका गृह जनपद है और वे 1996 पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट से तिवारी कांग्रेस के टिकट पर पहली बार सांसद बने थे। उन्होंने तब भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भुवनचंद्र खंडूरी को हराया था। 1996 में वे केंद्र की संयुक्त मोर्चा की देवगोड़ा सरकार में रेल राज्य मंत्री रहे। उसके बाद वे इंद्र कुमार गुजराल की केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री रहे। 2009 में वे कांग्रेस के टिकट पर पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट से चुने गए।
फरवरी 2014 में विजय बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया जिसका सतपाल महाराज ने विरोध किया और 10 मार्च 2014 को उन्होंने कांग्रेस और सांसदी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें पौड़ी गढ़वाल की चौबट्टा खाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था।
इस सीट से जीतने के बाद वे राज्य की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए उन्होंने शुरू में शपथ लेने से साफ इनकार कर दिया था क्योंकि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। सूत्रों के मुताबिक उन्हें भाजपा में शामिल करते वक्त पार्टी के आला नेताओं ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा दिया था। अमित शाह के दबाव में वे राज्य सरकार में शामिल हुए। त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर भी वे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे परंतु कांग्रेसी गोत्र का होने के कारण उन पर भाजपा आलाकमान ने भरोसा नहीं किया।उनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी से हुई।
भारतीय जनता पार्टी से हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के विधायक और कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद तीसरी बार इस विधानसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। स्वामी आर्य समाज से जुड़े हुए हैं। वे वेद मंदिर ज्वालापुर के अधिष्ठाता हैं। वे 2012 में पहली बार हरिद्वार ग्रामीण सीट से विधायक बने थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हराया।
स्वामी को उम्मीद थी कि उन्हें पार्टी आलाकमान हरीश रावत को चुनाव हराने का इनाम देगा और भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा परंतु हरिद्वार विधानसभा सीट से विधायक रहे उनके कट्टर विरोधी मदन कौशिक को 2017 में भाजपा सरकार में मंत्री बनाया गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री हटाने के बाद मार्च 2021 में स्वामी को तीरथ सिंह रावत सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और उसके बाद जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वे मुख्यमंत्री धामी के विश्वास पात्र हैं। अब वे तीसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। इस बार उनके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत चुनाव मैदान में हैं।
हरिद्वार नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से पंच दशनाम अग्नि अखाड़ा के संत सतपाल ब्रह्मचारी दूसरी बार अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला मौजूदा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से है। कौशिक 2002 से लगातार इस विधानसभा सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं। 2012 में उनके खिलाफ कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को चुनाव मैदान में उतारा था। तब सतपाल ब्रह्मचारी और उनके बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। मदन कौशिक करीब आठ हजार वोटों से चुनाव जीते थे जबकि 2007 में कौशिक ने कांग्रेस के उम्मीदवार पुरुषोत्तम शर्मा को 28 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। परंतु सतपाल ब्रह्मचारी की लोकप्रियता के आगे मदन कौशिक की 2007 की 28 हजार की चुनावी जीत की बढ़त 2012 में घटकर आठ हजार रह गई थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी पार्टी के दूसरे बड़े संत ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को उतारा परंतु उन्हें मदन कौशिक ने 35 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। त्रिवेंद्र सरकार में मदन कौशिक कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता बनाए गए थे। कांग्रेस ने फिर से एक बार सतपाल ब्रह्मचारी पर दांव लगाया है। भाजपा के कौशिक और कांग्रेस के ब्रह्मचारी के बीच इस बार कांटे की लड़ाई है। ब्रह्मचारी 2003 में नगर पालिका हरिद्वार के अध्यक्ष रहे उनके चुनाव लड़ने से संत समाज हरिद्वार में दो भागों में बट गया है। कुछ संत भाजपा के साथ हैं और कुछ संत सतपाल ब्रह्मचारी के पीछे खड़े हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने ज्वालापुर सुरक्षित विधानसभा सीट से दलित समुदाय के रविदासाचार्य और कथावाचक सुरेश राठौर को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। वे 2017 में इस सीट से पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया था। राठौर के खिलाफ कांग्रेस ने पहले जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष बरखा रानी को उतारा था परंतु फिर उनकी जगह वाल्मीकि समुदाय के रवि बहादुर को टिकट दे दिया। उनका इस विधानसभा क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं है और कांग्रेस के बागी उम्मीदवार एसपी सिंह इंजीनियर खड़े हो गए हैं जिससे सुरेश राठौर की स्थिति और मजबूत हो गई है बरखा रानी के कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होने पर राठौर की जीत पर शंका जाहिर की जा रही थी।