उत्तराखंड में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद विभिन्न विभागों में नियुक्ति, प्रोन्नति और तबादला करने तथा विभिन्न आयोगों में राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अपने चहेतों को बिठाने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले पर जहां विपक्ष एक होकर भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोल रहा है, वहीं मुख्यमंत्री ने इस मामले में अपनी सफाई देते हुए विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। यह मुद्दा उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनता जा रहा है।
चुनाव आचार संहिता को लागू होने के बाद पीछे के दरवाजे से तबादले, नौकरियों में प्रोन्नति, आयोगों, विभिन्न समितियों, परिषदों में अपने पसंदीदा लोगों को सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा बिठाए जाने पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। वहीं आचार संहिता लागू होने के बाद हरिद्वार के शिक्षा विभाग के मुख्य शिक्षा अधिकारी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को पीछे के दरवाजे से पुरानी तारीख के आधार पर कुछ नियुक्तियां करने और शिक्षकों का समायोजन करने के आरोप में जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी हरिद्वार ने निलंबन करने की सिफारिश शासन के शिक्षा सचिव से की है।
आचार संहिता लागू होने के 48 घंटों के भीतर के विभिन्न विभागों में जो रात दिन खेल खेला गया उसे राज्य सरकार की छवि को बट्टा लगा और विपक्ष इतना ज्यादा हमलावर हो गया कि राज्य सरकार का बचाव करने के लिए मुख्यमंत्री को बकायदा प्रेस कान्फ्रेंस करनी पड़ी। यह मामला इस समय राज्य की राजनीति का सबसे गरमा गरम मसला बन कर उभरा है।
तबादला सत्र शून्य होने के बावजूद मनमाने ढंग से तबादले किए गए। यह खेल शिक्षा विभाग में खुलेआम खेला गया। शिक्षा सचिव ने 7 जनवरी को तबादलों की तीन अलग-अलग सूचियां जारी की दुर्गम स्थानों में 10 साल की सेवा देने के नाम पर अपने चहेते शिक्षकों का भाजपा सरकार ने मनमर्जी की जगह तबादला कर दिया जबकि इस मानक में कई शिक्षक आते हैं जिनके तबादले नहीं किए गए।
इन तबादलों में इतनी जल्दबाजी की गई की आदेश जारी होते समय स्कूलों के विकल्प का ध्यान नहीं रखा गया और एक शिक्षक को दो नहीं पांच पांच स्कूलों के विकल्प दे दिए गए विपक्ष ने आरोप लगाया कि अपने चहेते भाजपाइयों को मलाईदार पदों पर बिठाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आचार संहिता का खुलेआम मजाक उड़ाया और रातों-रात महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग, किसान आयोग, बद्रीनाथ, केदारनाथ समिति, मंडी समिति सहकारिता और आबकारी आयुक्त समेत कई विभागों में मलाईदार पदों पर अपने चहेतों को बिठा दिया।
यह नियुक्तियां इतनी गोपनीय रखी गई कि अन्य भाजपा नेताओं को इनकी भनक तक नहीं लगी और आचार संहिता लगने के बाद पिछली तारीखों में यह आदेश जारी किए गए। कुछ आदेशों को लेकर भाजपा में भी असंतोष दिखाई दे रहा है. ताजा मामला बसपा से भाजपा में आए एक नेता शेष राज सैनी को मंडी समिति हरिद्वार का अध्यक्ष नियुक्त करने का है, जिसका भाजपाई विरोध कर रहे हैं और इसे भाजपा के वफादार कार्यकर्ताओं का अपमान बता रहे हैं।
आचार संहिता का खुला उल्लंघन हुआ
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के संयोजक हरीश रावत ने धामी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आचार संहिता का खुला उल्लंघन करते हुए सत्ता की ताकत और अहंकार का सचिवालय में खुला खेल खेला गया है और चुनाव में प्रशासन की मदद से शराब बांटने की तैयारी भी कर ली गई है। रावत ने बताया कि चुनाव आयोग को कांग्रेस ने शिकायती पत्र भेजा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि छुट्टी के दिन दफ्तर खुलवाकर शर्मनाक तरीके से 600 से अधिक आदेश निकाले गए हैं और इनकी तादाद इससे भी ज्यादा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संवैधानिक पदों पर जो नियुक्तियां आखिरी समय में की हैं, उनको कांग्रेस सत्ता में आने पर रद्द करेगी और उनकी जांच के लिए कमेटी में बनाई जाएगी।
काम की जगह कारनामे वाले कर रहे लोगों को गुमराह
पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिन लोगों ने काम की जगह कारनामे किए वे अब लोगों को गुमराह कर रहे। हमारी सरकार ने जनहित में काम किए हैं और जनता के बीच राज्य के विकास के लिए 10 साल का दृष्टि पत्र पेश किया है। यह चुनाव काम करने वालों और कारनामे वालों के बीच का है।