उत्तराखंड में चौथे विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे के दो प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा ने राजनीति की शतरंज में अपनी-अपनी गोटियां बिछा दी हैं। नाम वापसी के बाद सूबे की सभी 70 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला है जबकि हरिद्वार और उधमसिंहनगर जिलों में कांग्रेस और भाजपा के साथ-साथ बसपा भी मुकाबले में दिखाई दे रही है। इससे इन दोनों जिलों में तिकोना मुकाबला हो रहा है। बगावत से सभी दल जूझ रहे हैं।

बागियों का बसेरा

कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों ने भी विधानसभा चुनाव को इस बार रोचक बना दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस के 11 पूर्व विधायक भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे है। परंतु कांग्रेस के इन बागी पूर्व विधायकों में से ज्यादातर को भाजपा के बागी उम्मीदवारों के खड़े होने से पैदा राजनीतिक संकट से दो चार होना पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा के तीन पूर्व विधायकों को चुनाव मैदान में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में उतारा है। वहीं, भाजपा के तीन पूर्व विधायक बागी उम्मीदवार के तौर पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है।

हर दल में बागी

इस दफा उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले अलग तरह के राजनीतिक वतावरण में लड़े जा रहे हैं। पहली बार भाजपा और कांग्रेस में बागी उम्मीदवारों की तादाद सबसे ज्यादा है। कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में आए 12 पूर्व विधायकों में से 11 पूर्व विधायक मैदान में उतरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपनी जगह अपने बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा और कांग्रेस में इस वक्त पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता बाहरी नेताओं के पार्टी में शामिल होने के कारण पशोपेश में है।