उत्तराखंड में 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता 11 मार्च को वोटों की गिनती का इंतजार कर रहे हैं, वहीं सूबे की नौकरशाही नई सरकार के गठन और शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों में जुटी है। राज्य के मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में सूबे के आला अधिकारियों की देहरादून स्थिति सचिवालय में खास बैठक हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने आला अधिकारियों के साथ उत्तराखंड में बनने वाली नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों की बाबत चर्चा की। सूत्रों को मुताबिक बैठक में मुख्य सचिव ने आला अधिकारियों के साथ नई सरकार के पहले विधानसभा सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाबत भी चर्च की।
बताते हैं कि सूबे के आला अधिकारी कांग्रेस और भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों का अध्ययन कर रहे हैं ताकि जिस भी पार्टी की सरकार बनेगी, उस पार्टी के घोषणापत्र के मुताबिक राज्यपाल का अभिभाषण तैयार किया जा सके। साथ ही सूबे के वित्त विभाग के आला अधिकारी भी राज्य की वित्तीय स्थिति का आकलन करने में जुटे है। रावत सरकार के वक्त इतनी ज्यादा घोषणाएं की गई थी कि जिससे तमाम खर्चो के बाद खजाना खाली सा हो गया। यह सब सूबे में बढ़ती सरकारी फिजूलखर्ची और वित्तीय अनुशासनहीनता के कारण हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक इस समय उत्तराखंड सरकार पर 430 अरब रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है।
निर्वाचन आयोग 11 मार्च को होने वाली मतगणना की तैयारियों में जुटा हुआ है और अधिकारियों को मतगणना के लिए प्रशिक्षण अभी से दिया जा रहा है। सूबे के सभी 13 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी अपने-अपने स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों को मतगणना का प्रशिक्षण दे रहे हैं और मतगणना स्थलों पर चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी 13 जिलों में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को विशेष ट्रेंिनंग दी जा रही है। वहीं सूबे के कई नौकरशाहों ने नई सरकार बनने पर मलाईदार पद पाने के लिए अभी से अपने- अपने राजनीतिक आंका ढूंढ़ने शुरू कर दिए हैं। सूबे में कई अफसर ऐसे हैं जो भाजपा और कांग्रेस की सरकारों के मुखियों के पसंदीदा अफसर रहे हैं। ऐसे अफसर नई सरकार में भी अपना पव्वा फिट करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के चक्कर काट रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा ने सूबे की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में मुख्य टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच है। दोनों राजनीतिक दलों के राजनीतिक नेता अपने-अपने दलों की सरकार बनाने के लिए जुगाड़ में लगे हुए है और दोनों दलों के नेता सूबे में अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे जोर-शोर से कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया है कि सूबे में उनकी सरकार की फिर वापसी होगी और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलेगा। साथ ही रावत ने यह भी संभावना जताई कि यदि हमें सरकार बनाने में अपनी विचारधारा के क्षेत्रीय दलों या निर्दलीय विधायकों की जरूरत पड़ी तो हम उनका भी सरकार बनाने में सहयोग लेंगे। वहीं रावत ने कहा कि क्षेत्रीय दल, उत्तराखंड क्रांति दल को भी कांग्रेस सरकार बनाने में सहयोगी दल के रूप में शामिल कर सकती है। चूंकि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल के विचार समान रहे हैं। इसलिए हम उत्तराखंड क्रांति दल को अपना राजनीतिक स्वाभाविक मित्र मानते हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा की खंडित विधानसभा बनने पर उत्तराखंड क्रांति दल गुण-दोष के आधार पर ही सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दे सकता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी दो टूक शब्दों में कहते हैं कि राज्य में भाजपा सरकार बनने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार के काले कारनामों की जांच कराई जाएगी और हरीश रावत को जेल जाना होगा। कोश्यारी और रावत दोनों ही उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के ठाकुर नेता हंै और दोनों ही अपने-अपने राजनीतिक वर्चस्व को कायम करने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।