उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव सियासी बटवारे में फंसा है। अमेठी राजघराने के राजा-रानी और अपना दल में मां-बेटी आमने सामने हैं। सदन के रास्ते पर राजा-रानी, पिता-पुत्र, मां-बेटी और सास-बहू सब आमने-सामने हैं। राजनीति के लिए खून के रिश्ते तार-तार हो गए हैं।
पिता-पुत्र आमने-सामने

अमेठी राजघराने के राजा डॉ संजय सिंह की सियासी विरासत लेने के लिए बेटे अनंत विक्रम सिंह राजघराने की पुरानी परंपरा के विरोध में हैं। नतीजतन, राजनीति में पिता-पुत्र आमने-सामने हो गए हैं। अमेठी राजघराने में डॉ संजय सिंह के बाद अनंत विक्रम सिंह रियासत और सियासत दोनों के मालिक हैं, लेकिन राजनीति में इंतजार नहीं है। इससे वे भाजपा में मां गरिमा सिंह के नाम उम्मीदवार बने हैं जबकि डॉ संजय सिंह कांग्रेस के सांसद हैं। डॉ संजय सिंह राजनीति के असली खिलाड़ी हैं। वे 1980 से अब तक दो बार विधायक और चार बार सांसद बन चुके हैं। इसमें दो बार राज्यसभा भी गए हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश की सरकार में दर्जनभर विभागों के मंत्री और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रह चुके हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बनाने से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार बचाने में डॉ संजय सिंह सबसे आगे थे, लेकिन उनका इकलौता बेटा बगावत पर है। वैसे राजघराने के समर्थक अब भी डॉ संजय सिंह के साथ हैं।
यूं टूटा अपना सपना

अपना दल में सोनेलाल पटेल की मौत के बाद कृष्णा पटेल पार्टी की मुखिया बनीं। इसके बाद कृष्णा पटेल ने खानदान की सियासत और अपना दल को आगे बढ़ाने के लिए सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी अनुप्रिया पटेल को अपना दल का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। लेकिन अनुप्रिया ने पार्टी को अपने नाम कराकर कृष्णा पटेल को पीछे छोड़ दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने बनारस की सीट की खातिर अनुप्रिया पटेल से गठबंधन बनाया था। इसके बाद मोदी लहर और भाजपा गठबंधन में अनुप्रिया पटेल खुद सांसद और मंत्री बन गई हैं। इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने कृष्णा पटेल और पल्लवी पटेल को पीछे छोड़ दिया। अब खुद नई पार्टी बना ली है। अपना दल के सियासी बंटवारे में मां-बेटी आमने-सामने हैं। अनुप्रिया पटेल की नई पार्टी का नाम अपना दल (एस) हो गया है। अब मां-बेटी अलग हो गई हैं। इस चुनाव में कृष्णा के साथ अनुप्रिया की बहन पल्लवी हैं, जबकि अनुप्रिया अकेले हैं। मां-बेटी के अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे अपना दल का मूल मतदाता भ्रम में फंसा है। कृष्णा के मुताबिक अपना दल के 62 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें चार प्रतापगढ़ के हैं। बाकी बनारस, मिर्जापुर आदि जिलों में टिकट दिए गए हैं। प्रतापगढ़ की सदर सीट से प्रमोद मौर्या, विश्वनाथगंज से राकेश सिंह सोमवंशी, रामपुर खास से जेपी पटेल, बाबागंज से सुभाष तिवारी हैं। इनके खिलाफ अनुप्रियाकी नई पार्टी के विश्वनाथगंज में आरके वर्मा और सदर सीट पर संगमलाल गुप्ता चुनावी मैदान में हैं। कृष्णा का कहना है कि राजनीति में खून के रिश्ते नहीं होते हैं। राजनीति में उनकी बड़ी बेटी अनुप्रिया मां की शत्रु बन गई हैं, जबकि पल्लवी भी आधे की हिस्सेदार हैं। अपना दल पूरी तरीके से उनके साथ हैं। इससे अनुप्रिया का भाजपा गठबंधन इसी चुनाव के बाद बिखर जाएगा।