यूपी में इस महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस ने बरेली जिले में जाकर लोगों से पूछा कि वहां की जनता के मन में क्या है। यूपी में हो रहे त्रिकोणीय मुकाबले में एक तरफ सपा-कांग्रेस का गठबंधन है तो दूसरी तरफ बीजेपी। तीसरी तरफ बसपा भी पूरा जोर लगा रही है। सपा-कांग्रेस, बसपा की नजर मुस्लिम वोट पर है। इसका फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है क्योंकि मुस्लिम वोट तीनों पार्टियों के बीच बंट जाएगा और हिंदू वोट बीजेपी को मिलने की उम्मीद है। लेकिन ग्राउंड पर जाकर स्थिति कुछ और ही है। बरेली जहां पर ज्यादातर मतदाता मुस्लिम हैं उनको समझ नहीं आता कि लोग और नेता ऐसा क्यों सोचते हैं कि मुसलमानों का मकसद चुनाव में सिर्फ बीजेपी को हराना होता है।
लबेरा गांव में रहने वाले अरशद ने बातचीत के दौरान कहा, ‘लोगों को क्यों लगता है कि मुसलमानों का मकसद सिर्फ बीजेपी को हराना होता है ? क्या हम लोगों को नौकरी नहीं चाहिए? क्या हम लोग अच्छी कानून व्यवस्था नहीं चाहते ? क्या हम नहीं चाहते कि परिवार की आय बढ़े और हमारे बच्चे अच्छे स्कूल में जा सकें?’
मायावती से नाराज वोटर: कुछ दिन पहले बरेली में हुई रैली में मायवती ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के शासन में मुस्लिमों को शक की निगाह से देखा जाता है। मायावती ने यह भी कहा था कि बसपा के कार्यकाल में बीजेपी के मुकाबले काफी कम दंगे हुए थे। लेकिन लोगों को यह बात पसंद नहीं आई। गांव में रहने वाले मोहम्मद इम्तियाज ने कहा, ‘वह मुसलमानों के लिए बोल रही हैं, अच्छी बात है, लेकिन उन्होंने मुसलमानों के लिए क्या किया है? जब वह सत्ता में होती हैं तो सारी स्कीम दलितों के लिए शुरू करती हैं। हां, उनके कार्यकाल में कानून व्यवस्था ठीक थी लेकिन वह तो अखिलेश के पिछले दो साल के कार्यकाल में भी सुधरी है।’
इसके अलावा वहां रहने वाले कुछ मुस्लिमों ने यह भी कहा कि मायावती सिर्फ बीजेपी को हराने की बात करती हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह मुसलमानों के लिए क्या करेंगी।

