उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने पिता, मुलायम सिंह यादव के साथ संबंध बेहतर करने की कोशिश की। सोमवार को चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी और साइकिल के चुनाव चिन्ह पर अखिलेश यादव का हक तय किया था, जिसके बाद अखिलेश ‘पिता का आशीर्वाद’ लेने उनके घर गए थे। 77 साल के मुलायम ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वह यूपी चुनाव में बेटे के खिलाफ लड़ने के लिए नई पार्टी बनाएंगे या नहीं। हालांकि इस संभावना को दूर करने के लिए अखिलेश ने 12 घंटों में मुलायम से दो बार मुलाकात की। एनडीटीवी रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को मुलायम ने अखिलेश यादव को 38 ऐसे प्रत्याशियों की सूची सौंपी है जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। हालांकि इस सूची से मुलायम सिंह के भाई और उनके भरोसेमंद, शिवपाल यादव का नाम गायब है। शिवपाल और अखिलेश के बीच सरकार बनने के साथ ही मतभेद शुरू हो गए थे।
मुलायम द्वारा अखिलेश को सौंपी गई लिस्ट में शिवपाल के बेटे आदित्य यादव का नाम शामिल है। इसके अलावा सूची में मुलायम के वफादार मंत्रियों और अखिलेश को नहीं पसंद आने वाले नेताओं के भी नाम है। अखिलेश यादव से कथित तौर पर कहा गया है कि अगर वह मुलायम सिंह का समर्थन चाहते हैं, तो उन्हें यह सूची माननी ही होगी।
एक महीने पहले, मुलायम सिंह द्वारा उम्मीदवारों के चयन को लेकर ही अखिलेश खासे नाराज हो गए थे। उसी के बाद यादव परिवार में पार्टी पर नेतृत्व का संघर्ष गहराता चला गया। शिवपाल की मदद से मुलायम ने उस लिस्ट को ही पार्टी की आधिकारिक लिस्ट बताया था। हालांकि इसके जवाब में अखिलेश ने अपने उम्मीदवारों की अलग सूची जारी कर दी। कुछ लोगों के नाम दोनों लिस्ट में मौजूद थे।
मगर इसके बाद आए सप्ताह में यादव परिवार में दूरियां बढ़ती चली गईं। मुलायम और अखिलेश, दोनों पार्टी और साइकिल पर दावा जताते हुए चुनाव आयोग चले गए थे। सोमवार को आयोग ने अखिलेश यादव को विजेता घोषित किया।
मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने ऐलान किया है कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश की समाजवादी पार्टी और उनके दल का गठबंधन होगा। ऐसे में मुलायम और अखिलेश के बीच सीटों पर समझौता कैसे होता है और उसका कांग्रेस के साथ होने वाले गठबंधन पर कैसा असर पड़ता है, यह देखने वाली बात होगी।
