हिन्दुओं के पलायन की खबरों के बाद चर्चाओं में आए शामली जिले की कैराना विधानसभा में बीजेपी के लिए सत्ताधारी समाजवादी पार्टी से सीट हथियाना मुश्किल हो सकता है। यहां हिंदुओं के पलायन की बात करने वाले भाजपा सांसद हुकुम सिंह अपनी बेटी और भतीजे की जंग में फंसते दिख रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इस विधानसभा में पहले चरण में यानी 11 फरवरी को वोटिंग होनी है।

पिछले साल जून में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाने वाले सांसद हुकुम सिंह अपनी बेटी और भाजपा उम्मीवार मृंगाका के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन मृंगाका का मुकाबला हुकुम सिंह के ही भतीजे और रालोद उम्मीदवार अनिल चौहान से है। माना जाता है कि अनिल चौहान को इलाके के कई भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है। हिंदुओं के पलायन मुद्दे पर पिछले साल अपने चाचा का समर्थन करने वाले चौहान अब दावा कर रहे हैं कि हुकुम सिंह ने अपनी बेटी के लिए एक सीट तैयार करने के लिए ऐसा किया था।

यहां तक की कैराना के बीच स्थित परिवार की पैतृक बिल्डिंग कलस्यान चौपाल पर भी इसका असर साफ दिखाई दिया। बिल्डिंग पर भाजपा और रालोद दोनों के झंडे व पोस्टर लगे हैं। पिछले साल कैराना में हुए उपचुनावों में चौहान भाजपा उम्मीदवार थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन ने अनिल चौहान पर 1100 वोटों से जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनावों के लिए जारी की गई भाजपा उम्मीदावारों की लिस्ट में चौहान को दरकिनार कर दिया गया था, जिससे नाराज होकर वह अगले ही दिन रालोद में शामिल हो गए थे।

चौहान ने कहा, “मैं बाबुजी (सिंह) के साथ लंबे समय से काम कर रहा था, लेकिन जो पार्टी ने किया वह बिलकुल गलत था। मै समाजवादी पार्टी के एक मजबूत उम्मीदवार से बस 1100 वोटों से हारा था, जबकि पूरी राज्य सरकार मेरे खिलाफ थी।” चौहान ने भाजपा पर धोखा देने और भाई-भतीजावाद करने का आरोप लगाया। हालांकि हुकुम सिंह ने कहा कि भाजपा ने सही उम्मीदवार देखते हुए टिकट बांटे हैं और कहा कि “चौहान कुछ समय पहले तक पलायन के मुद्दे पर मेरे साथ खड़ा था और अब पलट रहा है। वोटर्स यह सब समझते हैं।”

वोटिंग में अब एक हफ्ता भी नहीं रह गया, ऐसे में भाजपा की अंदरूनी कलह समाजवादी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। कैराना के 2.7 लाख वोटर्स में से 1.3 लाख मुस्लिम हैं। गुज्जर, जाट और कश्यप मिलकर 25 हजार वोट होते हैं।