उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के बाद से उम्मीदवारों को लेकर काफी फेरबदल सामने आ रहे हैं। खबर है कि यूपी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने ही मौसा और सपा के एमएलए प्रमोद गुप्ता का टिकट फिर काट दिया है। प्रमोद गुप्ता बिधूना सीट से विधायक हैं। अखिलेश यादव ने इस बार उन्हें पहले टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव के कहने पर उनका टिकट काटकर दिनेश वर्मा को दे दिया है। हालांकि, अखिलेश यादव ने पहले दिनेश वर्मा को ही टिकट दिया था लेकिन बाद में पिता मुलायम सिंह यादव और मां साधना गुप्ता के कहने पर मौसा प्रमोद गुप्ता को टिकट दिया था। डिंपल यादव को 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी बिधूना विधानसभा में कम वोट मिले थे। जिस कारण अखिलेश यादव ने इस सीट से प्रमोद गुप्ता का टिकट काट दिया।
बता दें कि बिधूना विधानसभा सीट कन्नौज ससंदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है और मोदी लहर में हुए चुनाव में बिधूना से डिंपल यादव को खासी परेशानी हुई थी। इस चुनाव मे डिंपल मात्र 20 हजार के आसपास वोटों से ही जीत पाई थी। वैसे समाजवादी पार्टी से पूर्व घोषित दिनेश वर्मा और मौजूदा विधायक प्रमोद गुप्ता दोनों ने ही अपना अपना नामाकंन किया था, लेकिन ऐन मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फेरबदल करते हुए प्रमोद गुप्ता के बजाय दिनेश वर्मा को टिकट दे दिया। जिस वजह से प्रमोद गुप्ता का नामांकन रद्द हो गया।
इसके बाद 27 जनवरी को दिनेश वर्मा ने औरैया जिले के मुख्यालय के ककोर पर पहुंच कर अपना नामांकन कराया। उन्होंने समाजवादी पार्टी की ओर से दिये गये अधिकारिक पत्र की भी प्रति नामांकन पत्र के दाखिले के दरम्यान दाखिल की। दूसरी ओर मौजूदा सपा विधायक प्रमोद गुप्ता ने 30 जनवरी को अपना नामाकंन किया था। इस दौरान औरैया के अपर जिलाधिकारी राम सेवक द्विवेदी ने बताया कि जिन प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों में कमी पाई गई थी, उनके नामांकन निरस्त कर दिए गए हैं। प्रमोद गुप्ता को टिकट दिये जाने के पीछे यही वजह बताई गई कि उन्होने सपा से बगावत करने का ऐलान किया था।
वैसे प्रमोद गुप्ता के बारे में यह बात किसी से भी नहीं छिपी है कि वह मुलायम सिंह यादव के साढू हैं और उनकी इसी खासियत के कारण मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी धनीराम वर्मा , जो एक वक्त उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उनसे खासा विवाद हो चुका है। इस विवाद के चलते मुलायम सिंह यादव ने धनीराम वर्मा को बाईपास करके प्रमोद गुप्ता को तरजीह देना मुनासिब समझा।
पार्टी में एक वक्त ऐसा भी था जब प्रमोद गुप्ता को समाजवादी पार्टी की ओर से बिधूना विधानसभा का उम्मीदवार बनाया गया और प्रमोद गुप्ता 2012 में समाजवादी पार्टी के विधायक के तौर पर निर्वाचित हो गए लेकिन अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रमोद गुप्ता के टिकट को काट कर के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धनीराम वर्मा के बेटे दिनेश वर्मा को टिकट देना मुनासिब समझा लेकिन दबाब में प्रमोद फिर से टिकट ले आये फिर अखिलेश ने टिकट काटने के पीछे ससंदीय चुनाव मे डिंपल की हार को तर्क के साथ पेश और प्रमोद का टिकट काट पूरी तरह से काट दिया।
दिनेश वर्मा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बेहद करीबी और भरोसेमंद लोगों में से एक माने जाते हैं और इसी निकटता के कारण दिनेश वर्मा पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भरोसा भी जाता है और उनको टिकट भी दे दिया था।
प्रमोद गुप्ता, मुलायम सिंह यादव के साढू तो हैं, लेकिन कई मामलों में वो चर्चा में भी रह चुके हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र बिधूना स्थित रामलीला मैदान को ना केवल अपने कब्जे मे कर लिया बल्कि उस पर ही सरकारी निधि से रैना बसेरा के नाम पर एक आलीशान भवन का भी निर्माण करवा लिया है जिसमे विधायक खुद ही रहने भी लगे रहे । रामलीला की जमीन पर कब्जा करने के लिए बिधूना के सपा विधायक प्रमोद गुप्ता ने पूरी तरह से नियम कायदे कानून को ताक में रख दिया। बिधूना नगर में सरकारी भूमि संख्या 708 एवं 711 जो कि रामलीला मैदान के नाम से दर्ज है पर अवैध कब्जा कर अवैध निर्माण कराया गया है।
सपा विधायक ने अपने पद का नगर पंचायत के चेयरमैन रहते हुए रामलीला मैदान की जमीन को पट्टे के बहाने रामलीला समिति के नाम इंद्राज कराया। इकरार नामे में नगर पंचायत अध्यक्ष और रामलीला समिति के अध्यक्ष के तौर पर दोनों स्थानों पर सपा विधायक प्रमोद गुप्ता की ही फोटो का इस्तेमाल किया गया। नगर पंचायत के अध्यक्ष रहते हुए प्रमोद गुप्ता ने 29 साल का पट्टा करके रामलीला मैदान की जमीन को फर्जी तरीके से इकरारनामे के जरिये अपने नाम करवा कर कब्जा कर लिया जब कि यह जमीन आज भी जिलाधिकारी के नाम से रामलीला समिति के नाम से खतौनी में इंद्राज है। रामलीला समिति के नाम से 0.346 और 0.048 जमीन सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।
साल 2013 के जून माह मे वैसे सपा विधायक प्रमोद गुप्ता को औरैया मे कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बयान देने के कारण पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 6 साल के पार्टी से निकाल दिया था। बाद में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के समक्ष माफीनामे के बाद 16 अगस्त को इनका निष्कासन खत्म कर दिया गया था लेकिन एक शर्त जोड़ दी गई कि आगे भविष्य मे पार्टी के खिलाफ मीडिया मे कोई बयानात नहीं करेंगे।

