टिकट बंटवारे के बाद भाजपा में उठे बगावत के सुर अब ढीले पड़ गए हैं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि उसके किसी बागी ने चुनाव में नामांकन नहीं कराया है। बागियों के सबसे बड़े झंडाबरदार सुभाष पटेल के इस्तीफे को नामंजूर कर पार्टी ने उन्हें मनाकर चुनाव प्रचार के लिए राजी कर लिया है। लेकिन भाजपा में बगावत अभी पूरी तरह थमी नहीं है। नवाबगंज, बहेड़ी और मीरगंज में पार्टी के घोषित प्रत्याशियों का विरोध जारी है। उधर सपा में टिकट न मिलने से नाराज दो बागियों ने इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल से नामांकन कराकर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी सपा उम्मीदवार भितरघात की आशंका से जूझ रहे हैं। हालांकि पार्टी के जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव ने दावा किया कि रूठे कार्यकर्ताओं को मना लिया गया हैै।
बहेड़ी में छत्रपाल गंगवार की उम्मीदवारी को लेकर स्थानीय नेताओं चौधरी ओमवीर सिंह और जैल सिंह की ओर से काफी विरोध किया जा रहा है।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने इन दोनों नेताओं से बात कर उन्हें मनाने के प्रयास भी किए हैं। मीरगंज में पार्टी के उम्मीदवार डीसी वर्मा का विरोध अभी ठंडा नहीं पड़ा है। यहां रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए पार्टी का संगठन प्रयास कर रहा है। समाजवादी पार्टी में टिकट न मिलने से नाराज शेर अली जाफरी ने आइएमसी से टिकट लेकर अपना नामांकन करा दिया है। यहां सपा ने शहजिल इसलाम को उम्मीदवार बनाया है। वे 2012 के चुनाव में इसी चुनाव क्षेत्र से आइएमसी के टिकट पर जीतकर विधायक बने थे। लेकिन बाद में सपा में शामिल हो गए थे। नवाबगंज में सपा ने पहले शहला ताहिर को उम्मीदवार घोषित किया था। वे शिवपाल समर्थक मानी जाती हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनकी जगह इसी क्षेत्र के विधायक भगवत सरन गंगवार को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज शहला ताहिर सपा छोड़कर आइएमसी के टिकट पर कूदी हैं। आंवला में नाराज महिपाल सिंह यादव ने ग्राम प्रधानों और कार्यकर्ताओं की अलग बैठकें कर पार्टी के उम्मीदवार सिद्धराज सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। कैंट क्षेत्र में टिकट कटने से नाराज हाजी इसलाम बब्बू ने भी नामांकन कराया है। लेकिन सपा जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव ने दावा किया कि वे अपना नामांकन वापस ले लेंगे।