उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में चुनाव बहुत दिलचस्प होने की संभावना है क्योंकि जिले में चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाले सहयोगी दलों ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं और साथ ही इस दौरान एक मां और उसका बेटा भी आमने सामने होंगे। भाजपा एवं अपना दल और कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी का चुनाव पूर्व गठबंधन होने के बावजूद जिले की 12 विधानसभा सीटों में से कुछ पर उनके उम्मीदवार एक दूसरे से लड़ रहे हैं। इलाहाबाद की एक दर्जन विधानसीटों के लिए 181 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां पर 23 फरवरी को चुनाव होना है।
चुनाव के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया 30 जनवरी को चौथे चरण की अधिसूचना जारी करने के साथ ही शुरू हो गई थी। शहर के अधिकतर हिस्से को कवर करने वाले इलाहाबाद (उत्तर) में सबसे ज्यादा प्रत्याशी (26) हैं जबकि जिले के गंगा पार क्षेत्र हंडिया से सबसे कम (नौ) उम्मीदवार हैं। सोरों में दिलचस्प मुकाबला हो सकता है जहां कांग्रेस-सपा और भाजपा-अपना दल के बीच गठबंधन के बावजूद उनके उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी दलों के अलावा सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ भी लड़ रहे हैं।
राज्य की 403 में से 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने इस सीट से जवाहर लाल दिवाकर को उतारा है, जहां सपा के मौजूदा विधायक सत्यवीर ‘मुन्ना’ ने मैदान से हटने से इनकार कर दिया है और फिर से चुनाव जीतने की कोशिश में है। यहां से अपना दल प्रत्याशी जमुना लाल सरोज भी भाजपा के सरेंद्र कुमार के साथ मैदान में हैं। यह सीट केंद्र में सत्तारूढ राजग के दोनों गठबंधन साझीदारों के नेताओं के बीच तीखे वाक्युद्ध की वजह रही है। अपना दल के एक वरिष्ठ नेता ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस सीट को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है।
हंडिया में राज्य के पूर्व केबिनेट मंत्री राकेश धर त्रिपाठी की पत्नी प्रमिला देवी और बेटे प्रभात मैदान में है। त्रिपाठी (2007-12) में मायावती सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे और यहां से विधायक थे। वह आय से अधिक संपत्ति के मामले में कुछ महीने जेल में बिताने के बाद पिछले महीने ही बाहर आए हैं। उन्हें 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद बसपा से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने पार्टी के टिकट पर भदोही से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। उनकी पत्नी को अपना दल ने टिकट दिया है।
उनके बेटे की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं तब से है जब त्रिपाठी मंत्री थे। उन्होंने अपना नामांकन अंतिम दिन दायर किया और कहा, ‘मेरे द्वारा लोगों के बीच में काम किए जाने के बावजूद मुझे सभी पार्टियों ने नजरअंदाज किया है, जबकि मेरी मां को सार्वजनिक जीवन में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद भी टिकट दिया गया।’ कांग्रेस और सपा के गठबंधन में बारा और कोराओं में तनाव चल रहा है। ये दोनों ही सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और यमुना पार के इलाके में आती हैं। बारा से मौजूदा विधायक अजय कुमार (सपा) हैं जो सीट बचाने की जुगत में लगे हैं जबकि कांग्रेस ने सुरेश कुमार को टिकट दिया है।
कोराओं पर बसपा का कब्जा है। यहां कांग्रेस ने राम कृपाल को उतारा है। वह पूर्व विधायक हैं और पिछले विधानसभा चुनाव तक माकपा के साथ थे। वहीं समाजवादी पार्टी ने रामदेव को टिकट दिया है। छह फरवरी तक 244 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दायर किया था। नौ फरवरी को जांच के दौरान 53 नामांकन खारिज कर दिए गए।

