उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए तैयारियों की समीक्षा करने के उद्देश्य से मंगलवार (3 जनवरी) को चुनाव आयोग ने इन राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ एक बैठक की। सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की की बैठक में मणिपुर में कुछ नगा समूहों द्वारा की जा रही सड़कों की नाकाबंदी के कारण उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा की गई। बैठक में राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति के अलावा, निर्वाचन कर्मियों की तैनाती, सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन करने पर भी चर्चा की गई।
चुनाव आयोग को दी गई रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर की स्थिति का जिक्र किया है। वहां यूनाइटेड नगा काउंसिल ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 में नाकेबंदी की है और 60 दिन बाद भी राज्य सरकार सामान्य यातायात बहाल करने में कथित तौर पर नाकाम रही है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया ‘रिपोर्ट में गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को मणिपुर में जारी तनाव और चिंताजनक स्थिति के बारे में बताया है। आयोग अलग से भी स्थिति का आकलन कर सकता है ताकि चुनाव सही तरीके से हो सके।’
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में तैनाती के लिए करीब 85,000 सुरक्षा कर्मी मुहैया कराएगा। चुनाव आयोग के साथ कल एक उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि की अगुवाई में मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया के निर्बाध संचालन के लिए अर्द्धसैनिक बलों की करीब 750 कंपनियां मुहैया कराएगा। इसके अलावा करीब 100 कंपनियां विभिन्न राज्यों से ली जाएंगी जिन्हें चुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा। इन कंपनियों में राज्य सशस्त्र पुलिस बल और इंडिया रिजर्व बटालियन शामिल होंगी।
अर्द्धसैनिक बल की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं। फिलहाल, चुनाव आयोग की योजना उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सात चरणों में और अन्य राज्यों में एक चरण में कराने की है। लेकिन मणिपुर की स्थिति को देखते हुए पूर्वोत्तर के इस राज्य में एक से अधिक चरण में चुनाव कराए जा सकते हैं। फिलहाल इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।