उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी किसानों और जाट वोटरों को अपने पाले में करने की जुगत में हैं। वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान आधी कीमत पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं और लाठियों से मार खा रहा है, ऐसे में उन्हें पता है कि किसे वोट देना है।

चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं: उन्होंने चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को “पुराना मॉडल” बताया है। किसान नेता ने कहा कि अब यह मॉडल उत्तर प्रदेश में काम नहीं करेगा। शनिवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि विधानसभा चुनाव में वो कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाएंगे और उन्होंने किसी भी पार्टी को खुले तौर पर समर्थन देने से इनकार किया है।

यूपी की राजधानी लखनऊ में राकेश टिकैत ने कहा, “अगर सरकारें काम नहीं कर रही हैं, तो लोगों को अपनी भाषा में आवाज उठाना सीखना चाहिए। लोगों और किसानों को अपने संगठन और आंदोलन को मजबूत रखना चाहिए। सरकारें आएंगी और जाएंगी।”

बताने की जरूरत नहीं कि किसानों को किसे वोट करना है: उन्होंने कहा कि मैं चुनाव से अलग हूं। 13 महीने के कृषि आंदोलन के बाद मुझे किसानों को यह बताने की जरूरत नहीं है कि किसे वोट देना है। उन्होंने कहा कि किसान फसल आधी कीमत पर बेच रहे हैं। आलू, गन्ना और अन्य उपज एमएसपी पर नहीं खरीदी जा रही है। युवाओं के लिए रोजगार नहीं है और महंगाई बहुत ज्यादा है। लोग महंगे दाम पर गैस सिलेंडर खरीद रहे हैं और महिलाओं को मजबूरन जंगलों से लकड़ी लाकर घर में खाना बनाना पड़ रहा है।

किया अपना बचाव: किसान नेता ने राकेश टिकैत ने 2014 के लोकसभा और यूपी के 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन करने को लेकर अपना बचाव करते हुए कहा, “उस दौरान पूरे देश ने भाजपा का समर्थन किया था। इस बार, मैं केवल अपना वोट डालूंगा। मैं लोगों को केवल आंदोलन के बारे में बताऊंगा।”

टिकैत ने कहा, “कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बाद, राजनीतिक दलों ने किसानों, गरीबों, आदिवासियों के बारे में बात करना शुरू कर दिया है। वे अब शिक्षा की बात करते हैं।”

शनिवार को टिकैत ने कहा कि ‘हम 31 जनवरी को पूरे देश में विश्वासघात दिवस के रूप में मनाएंगे। देशभर के डीएम और एसडीएम कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है तो हमारा आंदोलन फिर शुरू होगा।’