उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने कानपुर देहात जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी प्रभाकर पांडे के सगे चाचा महेंद्र पांडे को अपने पाले में कर लिया है। बता दें कि कानपुर जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने प्रभाकर पांडे को प्रत्याशी बनाया है। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने लालजी शुक्ला को प्रत्याशी घोषित किया हुआ है। कांग्रेस ने नरेश चंद्रा को प्रत्याशी बनाया है।
2017 में बीजेपी जीती थी: बता दें कि सिकंदरा विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी ने जीत प्राप्त की थी। बीजेपी के मथुरा प्रसाद पाल ने 38 हजार से अधिक वोटों से बीएसपी प्रत्याशी को हराया था। हालांकि इसके बाद बीजेपी विधायक के निधन के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। उपचुनाव में बीजेपी ने विधायक मथुरा प्रसाद पाल के बेटे अजीत सिंह पाल को टिकट दिया था और उन्होंने जीत हासिल की थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अजीत सिंह पाल पर भरोसा जताया है।
जातीय समीकरण: कानपुर देहात जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य सीट मानी जाती है। इस विधानसभा सीट पर 52 फ़ीसदी वोटर ब्राह्मण है जबकि 10 फ़ीसदी वोटर मुसलमान है। करीब 18% वोटर अनुसूचित जाति के भी हैं।
सपा-बसपा ने खेला है ब्राह्मण कार्ड: कानपुर देहात जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण कार्ड खेला है। समाजवादी पार्टी ने प्रभाकर पांडे को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने लालजी शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है।
सबसे अधिक बार जीती बीजेपी: 2008 के परिसीमन के बाद सिकंदरा विधानसभा सीट का गठन हुआ था और 2012 में यहां पर पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाला गया था। 2012 में बीएसपी के प्रत्याशी ने दी जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 में बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। 2017 में ही सीट पर उपचुनाव हुआ था और बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।
सिकंदरा विधानसभा सीट पर 20 फरवरी को वोटिंग होगी। 20 फरवरी को उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का मतदान होगा। सिकंदरा विधानसभा सीट इटावा लोकसभा और कानपुर देहात जिले के अंतर्गत आती है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे और 10 मार्च को उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आएंगे।