उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां एक दूसरे के विरोधी प्रत्याशी कभी खास दोस्त हुआ करते थे। हालांकि राजनीति है ही ऐसी जिसमें कभी कोई राजनीतिक रूप से पक्का दोस्त नहीं होता है। नीचे दी गई जानकारी कुछ ऐसे प्रत्याशियों के बारे में है जो कभी एक दूसरे के खास दोस्त हुआ करते थे लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोक रहे हैं।

राजा भैया और गुलशन यादव : कुंडा से जनसत्ता दल के प्रत्याशी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव कभी एक दूसरे के खास दोस्त हुआ करते थे लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। हाल ही में गुलशन यादव ने राजा भैया के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी जिसके बाद उनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है।

बसपा सरकार के दौरान राजा भैया पर पोटा लगा था और उस समय गवाह राजेंद्र यादव की हत्या हो गई थी, जिसका मुकदमा भी गुलशन यादव पर दर्ज हुआ था। उसके बाद राजा भैया और गुलशन यादव एक दूसरे के करीबी हो गए और 2011 में राजा भैया के समर्थन से गुलशन यादव कुंडा टाउन एरिया के अध्यक्ष बन गए। हालांकि इसके बाद 2016 आते-आते राजनीतिक स्थिति बदल गई। गुलशन यादव और राजा भैया दोनों राजनीतिक विरोधी हो गए। हालांकि कुंडा चेयरमैन के चुनाव में राजा भैया के विरोध के बावजूद गुलशन यादव की पत्नी चेयरमैन का चुनाव जीत गई थी। गुलशन यादव के भाई छविनाथ यादव वर्तमान में समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ जिला अध्यक्ष है और जेल में है।

रमेश कुशवाहा और राम रतन कुशवाहा: ललितपुर सदर सीट से रामरतन कुशवाहा बीजेपी से उम्मीदवार है तो वहीं रमेश कुशवाहा समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। दोनों नेता कभी एक दूसरे के साथी हुआ करते थे। 2012 में रमेश कुशवाहा ने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते थे। 2017 में रमेश कुशवाहा को बीएसपी ने टिकट नहीं दिया तो वह पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। उस समय बीजेपी से उम्मीदवार रामरतन कुशवाहा थे और उनके लिए रमेश कुशवाहा ने खूब प्रचार किया था और रामरतन कुशवाहा ने जीत हासिल की थी।

हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद नगर पालिका के चुनाव हुए और रमेश कुशवाहा ने अपनी पत्नी के लिए अध्यक्ष पद का टिकट मांगा। बीजेपी ने टिकट नहीं दिया और रमेश कुशवाहा ने पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। समाजवादी पार्टी ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए रमेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है जबकि बीजेपी से रामरतन कुशवाहा मैदान में हैं। रामरतन कुशवाहा और रमेश कुशवाहा दोनों मौसेरे भाई भी हैं।

अंबरीश पुष्कर और सुशीला सरोज: अंबरिश पुष्कर 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मोहनलालगंज की सीट से विधायक चुने गए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में अंबरिश पुष्कर को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था लेकिन 2 दिन पहले ही सपा ने मोहनलालगंज सीट से टिकट बदल दिया और पूर्व सांसद सुशीला सरोज को मैदान में उतार दिया। सुशीला सरोज और अंबरीश पुष्कर एक दूसरे के पक्के साथी माने जाते थे लेकिन इस विधानसभा चुनाव में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अंबरीश पुष्कर ने अगर अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुशीला सरोज के सामने उम्मीदवार होंगे। अंबरीश को राजनीति में लाने का श्रेय सुशीला सरोज को ही जाता है।

कैलाश राजपूत और अजय वर्मा: कन्नौज जिले की तिरवा सीट से कैलाश राजपूत और अजय वर्मा अलग-अलग पार्टियों के सिंबल पर चुनावी मैदान में है। कैलाश राजपूत और अजय वर्मा दोनों बसपा में थे और अजय वर्मा कैलाश राजपूत के गुरु भी माने जाते हैं। अजय वर्मा ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में अजय वर्मा बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं कैलाश राजपूत भाजपा के टिकट पर मैदान में है। यानी गुरु-शिष्य दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

साजिया हसन और सैफुर्रहमान: फिरोजाबाद सदर सीट से सैफुर्रहमान और साजिया हसन चुनावी मैदान में है। साजिया हसन पूर्व विधायक और पूर्व जिला अध्यक्ष अजीम भाई की पत्नी है। सैफुर्रहमान और अजीम भाई की दोस्ती फिरोजाबाद में काफी चर्चित थी। साजिया हसन बसपा के टिकट पर मैदान हैं वहीं सैफुर्रहमान सपा के टिकट पर मैदान में हैं। दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार में जमकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ और सुभावती शुक्ला: गोरखपुर सदर सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नामांकन किया है। वहीं पर समाजवादी पार्टी ने सुभावती शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। सुभावती शुक्ला पूर्व बीजेपी नेता स्वर्गीय उपेंद्र शुक्ला की पत्नी हैं। उपेंद्र शुक्ला शुरु से बीजेपी में रहें। 2018 के गोरखपुर उपचुनाव में उपेंद्र शुक्ला को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया था हालांकि उपेंद्र शुक्ला चुनाव हार गए थे। उपेंद्र शुक्ला गोरखपुर और आस-पास के जिलों में काफी सक्रिय थे और बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी थे। गोरखपुर में जब योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते थे, चुनाव में उपेंद्र शुक्ला को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती थी। हालांकि उपेंद्र शुक्ला की पत्नी 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर मैदान में होंगी।