उत्तर प्रदेश में सोमवार को मतदान के दिन सोनभद्र जिले की दुद्धी और ओबरा सीट पर भी मतदान होगा, जो अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट है। यूपी में केवल 2 सीट अनुसूचित जनजातियों के आरक्षित है ,वह दुद्धी और ओबरा है। आम मुद्दों की तरह रोटी ,कपड़ा और मकान के साथ-साथ स्वच्छ पीने का पानी यहां पर मुख्य मुद्दा है। नक्सल प्रभावित 4 सीटें (ओबरा, दुद्धी, राबर्ट्सगंज, घोरावल) जिसकी सीमाएं छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश से लगती हैं, यहां पर बेरोजगारी भी एक बड़ा मुद्दा है। 2017 में बीजेपी ने 4 में से 3 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल सोनेलाल ने जीत हासिल की थी।

भाजपा को उन परियोजनाओं पर भरोसा है जिसका उसने पिछले 5 वर्षों में उद्घाटन किया है। जैसे मेडिकल कॉलेज, आवास योजना , स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की एक परियोजना। लेकिन जनता में आक्रोश भी है क्योंकि इनमें से अधिकांश योजनाएं अभी तक धरातल पर नहीं आई है। समाजवादी पार्टी क्षेत्र में अपना स्थापित आदिवासी नेताओं पर भरोसा कर रही है, जहां भूमि मुख्य मुद्दा है। इस क्षेत्र ने पूर्व में भूमि अधिकारों को लेकर संघर्ष देखा है। 2015 में कन्हार सिंचाई परियोजना और 2019 में 10 आदिवासी उम्भा में मारे गए थे।

2017 में दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल सोनेलाल के हरिराम विधायक थे। लेकिन इस बार बीजेपी ने इस सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया और आदिवासी नेता रामदुलार को टिकट दिया। टिकट न मिलने से नाराज हरिराम ने पाला बदलकर बीएसपी जॉइन कर लिया और वह बीएसपी के टिकट पर मैदान में है। जबकि समाजवादी पार्टी ने विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2017 में इस विधानसभा क्षेत्र में 8500 से अधिक लोगों ने NOTA को चुना था।

विजय सिंह 7 बार के विधायक है और पूर्व मंत्री भी हैं, जो कांग्रेस और सपा के टिकट पर जीत चुके हैं। उनके समर्थक जनता को विश्वास दिला रहे हैं कि गोंड नेता (विजय सिंह) कैबिनेट मंत्री बनेंगे ,अगर सपा सत्ता में आती है। 2017 में विजय सिंह ने बीएसपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने यहां से महिला कार्यकर्ता बसंती पनिका को उम्मीदवार बनाया है।

समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर से ओबरा सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चुनाव लड़ रही है। राकेश कुमार गोंड एसबीसीपी के उम्मीदवार हैं जबकि राम राज कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। राम राज युवा आदिवासी नेता हैं और 2019 में उंभा में जमीन के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।