भारतीय जनता पार्टी दलितों के वोट हासिल करने के लिए जोरदार कोशिश करती हुई दिखती है लेकिन अपनी पार्टी के पुराने दलित नेता और उनके परिजनों की बेकद्री पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। जनसंघ व जनता पार्टी के समय दो बार लखना विधानसभा से विधायक रामलखन रहे थे। धन की तंगी के कारण उनकी पत्नी सोनकली की आंख का आपरेशन नहीं हो पा रहा है। उनका बेटा कपड़ों पर प्रेस करके गुजर बसर कर रहा है। यह परिवार इटावा जिले के कस्बा लखना के ठाकुरान मुहाल में रह रहा है। रामलखन धोबी वर्ष 1974 में पहली बार दीपक चुनाव निशान वाली जनसंघ पार्टी और वर्ष 1977 में जनसंघ के बाद बनी जनता पार्टी से विधायक लखना विधानसभा से जीते थे। आज भी उनके परिवार की निष्ठा भाजपा के साथ है। घर के दरवाजे पर आज भी कमल के निशान वाला भाजपा का स्टिकर चिपका है।
विधायक के मरने के बाद से शासन ही नहीं पार्टी के लोगों के द्वारा की गई उपेक्षा से आज पूरा परिवार आहत है। दिवंगत विधायक रामलखन धोबी की पत्नी सोनकली कहती हैं कि 2005 में विधायकों व उनके परिवार को पेंशन देने के आदेश के बाद भी उनके परिवार को आज तक कोई पेंशन नहीं मिल रही है। बेटी प्रकाशवती के अनुसार उनके पिता की मौत के बाद, अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए जो सहायता तहसील से दस हजार रुपए की मिलती थी, वह भी आज तक नहीं मिली है।
दिवंगत पूर्व विधायक राम लखन धोबी के घर तक बिजली के कनेक्शन के लिए बिजली विभाग ने खंभा तक नहीं लगवाया है। करीब 150 मीटर दूर स्थित खंभे से तार खींच कर लकड़ी के डंडों के सहारे बिजली की लाइन घर तक लाई गई है। दिवंगत पूर्व विधायक की पत्नी सोनकली की वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं बनी है। भाजपा के जिलाध्यक्ष शिवमहेश दुबे दिवंगत विधायक परिवार की बेकद्री से जुडेÞ हुए सवाल के जवाब में कहते हैं कि पार्टी ने स्तर समय-समय पर परिवार की यथासंभव मदद की है।