सीटों पर जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। इस बार तेजस्वी यादव ने रैलियों के मामले में अपने पिता लालू प्रसाद यादव का भी रेकॉर्ड तोड़ दिया है। उनकी रैलियों में भारी जनसमूह भी देखने को मिल रहा है। तेजस्वी ने बताया कि लंबे समय से बिहार के लोगों से किसी ने बात नहीं की। इसलिए उन्होंने प्रेस कॉनफ्रेंस मॉडल को छोड़कर मन की बात मॉडल को चुना। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन उनकी बात को सुनने वाला कोई नहीं था।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘हम बहुत ज्यादा वादे नहीं कर रहे हैं। जो चीजें पहले से हैं उनको ही सुधारने पर हमारा ज्यादा फोकस है।’ तेजस्वी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनकी पार्टी ने जनता की परेशानियों पर ध्यान दिया और पता लगया कि आखिर सबसे बड़ी समस्या क्या है। 10 में से 9 युवाओं ने बताया के वे बेरोजगार हैं। इसके बाद इस समस्या से निपटने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘हमने सलाहकारों और आर्थिक जानकारों के साथ मिलकर 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का ब्लूप्रिंट तैयार किया है।’
प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तेजस्वी ने कहा, ‘अगर वह हमपर हमला करना चाहते हैं तो स्वागत है। लेकिन उनका भाषण लिखने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि उसमें ऐसे शब्द न डालें जो उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करते हों। वे ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो कि जिम्मेदार शख्स की नहीं लगती है। दरअसल जब रिपोर्ट कार्ड पर उन्हें वोट नहीं मिल रहे हैं तो उन्होंने हमें दोष देना शुरू कर दिया।’ उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने अभी नीतीश को सीएम कैंडिडेट बनाया ही नहीं है। उन्होंने आगे जरूरत पड़ने पर गठबंधन के सवाल पर कहा, मुझे इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
तेजस्वी ने कहा, चुनाव जाति-पांत और धर्म से ऊपर उठकर विकास के मुद्दे पर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्ट ने हमेशा सामाजिक न्याय दिलाया है। इस बार हम आर्थिक न्याय भी दिलाएंगे। हमारा टिकट का बंटवारा देखकर आप जान सकते हैं कि किसी भी वर्ग को अनदेखा नहीं किया गया है।’ यादव और मुस्लिम वोट कटने के सवाल पर तेजस्वी ने कहा, ‘मुझे अपने युवा भाई बहनों पर पूरा भरोसा है। वे विकास को पसंद करते हैं।’ तेजस्वी ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने अब तक नीतीश कुमार को सीएम कैंडिडेट बनाया ही नहीं है।