पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार (5 जनवरी) को कहा कि गंभीर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए या नहीं और सुनवाई के किस चरण में किसी चुने गये प्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जाए, जैसे सवालों पर निर्णय के लिए वह जल्द ही पांच न्यायाधीशों की एक पीठ गठित करेगा। प्रधान न्यायाधीश जी एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हमें इस मामले को स्पष्ट करना होगा ताकि अगले चुनाव तक लोग नियमों को जान सकें।’ इसको लेकर दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द-से-जल्द फैसला करने की आवश्यकता है क्योंकि कई ‘शातिर अपराधी’, जिनके खिलाफ गंभीर मामलों में आरोप तय किये गये हैं, आगामी चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।
न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम इन मुद्दों पर निर्णय के लिए जल्द ही एक संविधान पीठ का गठन करेंगे।’ वकील और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इस मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका का उल्लेख किया। इस याचिका में कहा गया है कि कई गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे लोग चुनाव लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं, ऐसे में इस वैधानिक सवाल को हल कर लिया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इन सवालों का तत्काल जवाब नहीं दे सकते क्योंकि चुनावों में फर्जी मामले दर्ज कराये जाने का भय है।’

