दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए इस समय कई सारी चुनौतियां हैं, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद AAP के लिए जमीन पर कई समीकरण बदल चुके हैं। इस बीच राहत की खबर ये आई है कि संजय सिंह को 6 महीना बाद जमानत मिल गई। अब जेल से बाहर आने के बाद संजय सिंह काफी आक्रामक दिखाई दे रहे हैं, वे लगातार भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं, देश की सबसे बड़ी पार्टी को लेकर दो तू कह रहे हैं कि शराब घोटाला उसकी तरफ से किया गया है।
अब संजय सिंह अगर एक तरफ बीजेपी पर हमला कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मीडिया के सामने अपनी जेल के दिनों को याद भी कर रहे हैं। कई मौकों पर उनकी तरफ से बताया गया है कि 6 महीनों के भीतर जेल में उनके साथ क्या-क्या हुआ।
संजय सिंह ने बताया कि जब भी उनके परिवार का जेल में फोन आता था, वे पहले ही बता देते थे कि कॉल रिकॉर्ड हो रही है। संजय सिंह का मानना है कि अगर उनकी आंखों में आंसू आते तो उच्च पदों पर बैठे अधिकारी और नेता खुश होते। आप नेता के मुताबिक जेल में रहते समय जब भी उनके परिवार से बात होती थी, वे हमेशा उन्हें खुश करने की कोशिश करते थे। अपनी पहली ही बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि वे कैसे हैं, संजय ने अपने परिवार को जवाब में कहा- आपको पूछना चाहिए जेल वाले कैसे हैं?
पीटीआई को दिए इंटरव्यू में संजय सिंह ने ये भी बताया कि शुरुआती 11 दिन जेल में उनके लिए ज्यादा मुश्किल थे। उनके मुताबिक उस समय उन्हें सामान्य कैदियों की तरह नहीं रखा जा रहा था। अगर दूसरे कैदी थोड़ी देर के लिए जेल से बाहर दूसरी जगह जा सकते थे, उन्हें ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी। वे 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में थे। आप नेता के मुताबिक 11 दिन बाद जब उनकी एक बड़े अफसर से बात हुई, उसके बाद उन्हें भी सामान्य कैदियों जैसे अधिकार मिलने लगे, थोड़ी देर के लिए वे भी जेल से बाहर निकलते थे, बैडमिंटन कोर्ट और दूसरी जगह पर जा सकते थे।
उस इंटरव्यू में संजय सिंह ने बताया कि जेल के अंदर क्योंकि मोबाइल की अनुमति नहीं थी, उस वजह से उन्होंने 6 महीने में कई सारी किताबें पढ़ीं। भगत सिंह से लेकर नेल्सन मंडेला तक, संजय की माने तो जितनी किताबें उन्होंने 6 साल में नहीं पढ़ी थी, उससे ज्यादा ज्ञान उन्होंने 6 महीने के अंदर ले लिया। वे मानते हैं कि जेल से बाहर निकालने के बाद वे और ज्यादा मजबूत इंसान बन चुके हैं और तमाम चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
एक घटना का जिक्र करते हुए संजय सिंह ने ये भी बताया कि जेल में एक समय ऐसा आया था जब उन्हें बैरक नंबर दो से बाहर निकाल कर पांच नंबर बैरक में डाल दिया गया था। उनके मुताबिक जब सिसोदिया दूसरे जेल में थे, सत्येंद्र जैन अलग सेल में थे, ऐसे में आखिर क्यों जेल बदला गया, ये आज तक उन्हें समझ नहीं आया।