राजस्थान के रण का असली चुनावी रंग समझना हो तो राजधानी जयपुर से 200 किमी दूर स्थित मंडावा विधानसभा पर नजर डालनी चाहिए। 2013 में हुए चुनाव के समय जब मोदी लहर चल रही थी तब इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस यहां पहले-दूसरे पर जगह नहीं बना पाई थी, जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान यहां से पार्टी के प्रत्याशी थे। चुनाव से पहले ही यहां बात उनकी जमानत बचने या जब्त होने को लेकर चल रही थी। यहां विजेता और उपविजेता दोनों निर्दलीय थे। जाट और मुस्लिम बाहुल्य यह सीट अरसे से कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन भाजपा यहां एक बार भी नहीं जीत पाई।
दरअसल पिछली बार यहां जाट-मुस्लिम दोनों कांग्रेस के पक्ष में नहीं थे। जाटों ने यहां कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया था, वहीं मुस्लिम वोट कांग्रेस के दो बागियों और भाजपा के सलीम तंवर में बंट गए थे। इस तरह कांग्रेस का मूल वोट बैंक ध्वस्त हो गया। ठीक मंडावा की तरह ही पूरे राजस्थान में कांग्रेस का मूल वोटबैंक उसके साथ नहीं था। ऐसे में मौजूदा चुनाव में भी मुकाबला कैसा और कितना दिलचस्प होगा यह जानने के लिए मंडावा का रुख किया जा सकता है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल था, इस बार नंबर भाजपा का है। पिछली बार जाट और मुस्लिम कांग्रेस की हार का कारण बने थे। इस बार राजपूत भाजपा से नाराज चल रहे हैं। इस बार मंडावा से भाजपा ने पिछली बार निर्दलीय जीतने वाले नरेंद्र कुमार को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने बतौर निर्दलीय नंबर दो पर रही रीता चौधरी को मैदान में उतारा है। इनके अलावा इस बार सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी अनवर अली खान बसपा की तरफ से यहां मैदान में है। इस बार भी दो निर्दलीय यहां से मैदान में उतरे हैं। इस बार आरक्षण और एससी-एसटी अधिनियम जैसे मसलों से इस बार सवर्णों और पिछड़ों में भी गुस्सा है।
राजस्थान में अलग-अलग जातियों की सियासी स्थिति
मुस्लिमः लगभग 10 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या वाले राजस्थान में 13 सीटों पर यह समुदाय जनसंख्या के लिहाज से पहले जबकि 12 सीटों पर दूसरे नंबर
पर है। इनमें से सबसे अधिक सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। हालांकि 2013 में भाजपा के सिर्फ दो ही विधायक मुस्लिम थे।
जाटः 2013 में राज्य में 25 विधायकों के साथ यह समुदाय दूसरे नंबर पर रहा था। इनमें से सबसे ज्यादा 13 भाजपा से चुने गए थे। वहीं कांग्रेस पांच के साथ दूसरे नंबर पर थी।
राजपूतः 2013 में राज्य में सबसे अधिक 26 राजपूत विधायक चुने गए थे। इनमें से 22 अकेले भाजपा से थे। वहीं कांग्रेस महज दो विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर थी।
ब्राह्मणः 2013 में राजस्थान विधानसभा में कुल 16 ब्राह्मण विधायक थे इनमें से सिर्फ एक कांग्रेस में जबकि 14 भाजपा में थे।