राजस्थान चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में दिलचस्प मुकाबला होता दिख रहा है। पिछली बार कांग्रेस ने बाजी जरूर मारी थी, लेकिन बीजेपी ने भी कड़ी टक्कर दी। लेकिन राज्य का जैसा इतिहास रहा है, उसे देखते हुए बीजेपी ज्यादा विश्वास में नजर आ रही है। हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन वाला ट्रेंड उसे और ज्यादा उत्साहित कर रहा है। वैसे राजस्थान को लेकर ये बात कम ही लोग जानते हैं कि यहां के चुनाव में जनता भी एक तरह की ‘फिक्सिंग’ हर बार करती है। असल में इस राज्य की कई ऐसी सीटे हैं जहां पर कितने भी समीकरण बदल जाएं, जीत लगातार किसी एक ही पार्टी की रहती है।
बीजेपी 60, कांग्रेस 21, इन सीटों पर किसी का खेल नहीं बिगड़ रहा!
ऐसा नहीं है कि इस ट्रेंड का फायदा सिर्फ बीजेपी या कह लीजिए कांग्रेस को मिल रहा हो। हर पार्टी को इसका पूरा फायदा मिला है। पिछले कई सालों से राज्य की 60 ऐसी सीटें हैं जहां पर बीजेपी की जीत हो रही है, वहीं 21 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है। यानी कि 81 सीटों पर जनता की एक अलग तरह की फिक्सिंग चल रही है। ना 60 सीटें बीजेपी से कोई छीन पा रहा है और ना ही 21 सीटों से कांग्रेस कोई हटा पा रहा है।
बीजेपी को कहां जीत की गारंटी?
बीजेपी की 60 सीटों की बात की जा रही है, उसमें पाली में पांच बार से लगातार कमल खिल रहा है, 4 बार से उदयपुर जीता जा रहा है, लाडपुरा, रामंगज, सोजत, खानपुर, भीलवाड़ा, ब्यावर, फुलेरा, सांगानेर, रेवदर, राजसमंद, नागौर में भी 4 बार जीत दर्ज हो चुकी है। इसी तरह विद्याधर नगर, बीकानेर ईस्ट, सिवाना, अलवर सिटी, आसींद, भीनमाल, अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ जैसी सीटों पर बीजेपी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। इसके अलावा 33 विधानसभा सीटों पर ऐसा गणित सेट है कि पार्टी दो बार से जीतती आ रही है।
कांग्रेस के कौन से गढ़?
अब अगर इतनी सारी सीटों पर जनता बीजेपी पर मेहरबान है तो कांग्रेस को भी कई सीटों पर ऐसा ही फायदा मिल रहा है। जोधपुर की सरदापुरा सीट ऐसी है कि यहां से पांच बार पार्टी जीत रही है, बीजेपी ने कितने उम्मीदवार उतार दिए, लेकिन यहां नतीजा नहीं बदला। इसी तरह बाड़ी, बागीदौरा, झुंझुनू, फतेहपुर जैसी कई सीटों पर तीन बार कांग्रेस, बीजेपी को हरा चुकी है। कोटपूतली, सांचौर, चित्तौड़गढ़ जैसी 13 सीटों पर भी कांग्रेस की जीत की गारंटी चल रही है।
119 सीटों पर मुद्दे हावी, बदलते रहते विधायक
सवाल ये आता है कि अगर जनता ने 81 सीटों पर इस तरह की फिक्सिंग कर रखी है तो बाकी बची 119 सीटों पर क्या होता है? अब ये जो 119 का आंकड़ा है, असल में हार-जीत का सारा अंतर इन्हीं सीटों से तय हो रहा है। असल में जिन सीटों पर जनता की फिक्सिंग मानी जा सकती है, वहां मुद्दों पर चेहरे हावी है, किसी एक पार्टी के प्रति वफादारी चल रही है। लेकिन ये जो राज्य की 119 सीटें हैं, यहां जनता मुद्दों पर भी ध्यान देती है, विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी मायने रखता है और सारा खेल परफॉर्मेंस पर निर्भर कर जाता है। जो अच्छा करता है उसे इन 119 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटें मिल जाती हैं।
किसी एक की लहर बदल देगी सारे समीकरण
अब इस बार का राजस्थान चुनाव ऐसा है कि सारे समीकरण जमीन पर बदल रहे हैं। कांग्रेस दावा कर रही है कि इस बार सत्ता परिवर्तन नहीं होगा और जनता दोबारा उनकी सरकार बना देगी। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो जो फिक्सिंग वाली सीटों का गणित चल रहा है, वो भी सारा बदल जाएगा। इसी तरह अगर बीजेपी इस बार प्रचंड बहुमत हासिल कर जाए, तब भी ये सारे समीकरण धरे के धरे रह जाएंगे और वोटों का बड़ा तबका एक पार्टी के साथ चला जाएगा।
