राजस्थान में विधानसभा चुनाव अब अंतिम दौर में है लेकिन 2019 में भाजपा को चुनौती देने का दावा करने वाला तीसरा मोर्चा अब तक कहीं नजर नहीं आ रहा। भाजपा और कांग्रेस के लिए मोटेतौर पर अभी भी मैदान खुला ही है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारत वाहिनी पार्टी, बसपा समेत कई पार्टियां लड़ रही हैं लेकिन इनमें एकजुटता नहीं है। हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी ने जरूर एक-दूसरे के समर्थन के संकेत दिए थे लेकिन चुनावी मैदान में कहीं एकजुटता नजर नहीं आई।
केंद्रीय नेताओं वाला तीसरा मोर्चा भी गायबः केंद्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे की बात करने वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा भी कहीं सक्रिय नजर नहीं आ रहा। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा द्वारा बनाए गए इस मोर्चा में जेडीएस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीएमएल, राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी शामिल हैं। मोर्चा की तरफ से राजस्थान की सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए जाने का दावा किया गया था लेकिन कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं की गई। ऐसे में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में जहां क्षेत्रीय दलों का दबदबा नहीं है वहां तीसरे मोर्चा कैसे अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएगा। इसे लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
अकेली बसपा भर रही दमः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की खासतौर पर बात करें तो यहां अकेली बहुजन समाज पार्टी ने प्रत्याशी उतारे हैं। राजस्थान में बीएसपी ने 197 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। छत्तीसगढ़ में मायावती ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ गठबंधन किया है। वहीं मध्य प्रदेश में भी पार्टी के पास अच्छा-खासा जनाधार है। लेकिन विपक्ष के बिखराव को देखते हुए तीसरे मोर्चा बेहद कमजोर दिख रहा है। खासतौर पर उन राज्यों में जहां मुकाबला सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच है।