राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से भंवरी देवी हत्याकांड की गूंज सुनाई देने लगी है। कांग्रेस ने इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा और पूर्व विधायक मलखान सिंह विश्नोई के बेटे महेंद्र विश्नोई को पहली ही सूची में टिकट दिया है। इसके अलावा आरोप लग रहे हैं कि मदेरणा जेल में बंद रहते हुए चुनाव को प्रभावित कर रहा है। भाजपा नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। बता दें कि साल 2011 में भंवरी देवी हत्याकांड ने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया था। हत्या से पहले भंवरी ने मीडिया में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उसके पास एक कैबिनेट मंत्री और एक विधायक की काली करतूतों की सीडी है, जिसे लीक कर देने पर तीन दिन में ही अशोक गहलोत सरकार गिर जाएगी।
क्या है भंवरी देवी हत्याकांड?
भंवरी देवी राजस्थान के जोधपुर के बगल के एक अस्पताल में सरकारी नर्स थी जो नट समुदाय से आती थी। अस्पताल में नर्स के अलावा ऑडियो-वीडियो सीडी में लोकगायिका के तौर पर भी भंवरी ने अपनी पहचान बनाई थी। वह राजस्थानी फिल्मों की हीरोईन बनना चाहती थी, इसलिए वो अपना अल्बम निकालने में बिजी रहती थी। सीडी की शूटिंग की वजह से उसे अक्सर जयपुर और दूसरे शहर जाना पड़ता था, इस वजह से वह अक्सर ड्यूटी पर से गायब रहती थी। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की तो साल 2009 में जिलाधिकारी ने भंवरी देवी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
संविदा की नौकरी बचाने के लिए तब भंवरी देवी स्थानीय विधायक मलखान सिंह विश्नोई के पास गई। मलखान सिंह उसे कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा के पास लेकर जाता है। विधायक और मंत्री ने जिलाधिकारी को कहा तो कुछ दिनों के बाद भंवरी की नौकरी बहाल हो गई। इस दौरान मलखान सिंह के साथ उसका करीबी रिश्ता बन जाता है। मंत्री मदेरणा के साथ भी भंवरी देवी करीबी हो गई। यह सिलसिला दो साल तक चला। इस दौरान भंवरी जयपुर, जोधपुर भी गई। फोन पर अक्सर वह मंत्री और विधायक से बातचीत करती रहती। इन दो सालों में भंवरी देवी सत्ता के गलियारे में पावरफुल हो चुकी थी।
भंवरी देवी ने नेताओं से फायदा उठाना शुरू कर दिया। लोगों के फंसे काम भी करवाने लगती है। राजस्थान सरकार की संविदा की 8000 रुपये प्रतिमाह की नौकरी करने वाली नर्स भंवरी देवी बहुत कम समय में अमीर बन जाती है। भंवरी नया घर खरीदती है, नई स्विफ्ट कार खरीदती है, बच्चों को जयपुर के नामी स्कूलों में पढ़ाने लगती है। उसकी जिंदगी में मुश्किलें तब आई जब साल 2011 में भंवरी देवी नेता बनना चाहने लगी। उसने विधायकी के लिए टिकट मांगा और इसके लिए मंत्री मदेरणा और विधायक मलखान सिंह पर दबाव बनाने लगी। ये दोनों नेता भी टालते रहे। तब भंवरी को लगा कि उसे ये दोनों बेवकूफ बना रहे हैं।
इसके बाद भंवरी ने चाल चली। 2011 के ही जनवरी-फरवरी में उसने कहना शुरू किया कि उसके पास एक सीडी है, जिसमें मलखान और मदेरणा के अंतरंग दृश्य हैं। भंवरी के इस तेवर के बाद दोनों नेताओं ने भंवरी से किनारा कर लिया। भंवरी ने उनसे मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन वो मिल नहीं सके। जुलाई 2011 में भंवरी अचानक जयपुर में मदेरणा की कोठी पर पहुंच जाती है लेकिन मंत्री ने उसे वहां से धक्के मरवाकर भगा दिया। इसके बाद वो बीजेपी दफ्तर पहुंच जाती है। वहां उसने पूरी कहानी बताई और कहा कि सीडी लीक कर देंगे तो तीन दिन में सरकार गिर जाएगी। अगले दिन मीडिया में कहानी छपी। तब मदेरणा और मलखान ने अपना रवैया बदला, भंवरी को फोन किया, उससे मिले फिर माफी मांगी। फिर तीनों के बीच रिश्ते सामान्य हो गए।
दरअसल, दोनों नेताओं से सीडी देने के लिए 60 लाख रुपये में सौदा हुआ था। एक समय अंतराल भी तय हुआ। हालांकि, इस दरम्यान भंवरी अलर्ट हो गई थी। अब वह घर से अकेले नहीं निकलती थी। भंवरी अपनी स्विफ्ट कार जुलाई 2011 में साढ़े चार लाख रुपये में विधायक मलखान के भाई सोहनलाल को बेच देती है। उसे 50 हजार रुपये पेशगी मिलती है और बाद में बाकी पैसे देने का वादा किया जाता है। एक सितंबर 2011 को सोहनलाल भंवरी को फोन करता है कि चार लाख कार के बकाया और 60 लाख उस सौदे के लेने के लिए आए। भंवरी सीडी लेकर घर से निकलती है लेकिन वापस घर नहीं लौटती है।
12 दिन तक भंवरी का पति अमरचंद चुप रहा। वह 13 सितंबर को भंवरी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाता है और उसमें साफ-साफ आरोप लगाता है कि भंवरी को गायब करने में कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह का हाथ है। मीडिया में मामला लीक होता है। इसके बाद सियासी हड़कंप मच जाता है। विपक्षी नेताओं की लामबंदी हुई, हंगामा हुआ तो मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई जांच कर ही रही थी कि मीडिया में एक सीडी लीक हो जाती है, उसमें मदेरणा और भंवरी देवी थी। सीडी के आधार पर सीबीआई ने जनवरी 2012 में मंत्री मदेरणा को गिरफ्तार कर लिया। बाद में मलखान सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। कुछ दिनों बाद पूछताछ में पता चलता है कि भंवरी देवी की हत्या हो चुकी है और उसे जला दिया गया है। बाद में पता चलता है कि भंवरी का पति भी इस साजिश में शामिल था। मामले में 17 आरोपी बनाए गए थे। अभी तक मामले में फैसला नहीं आ सका है, कोर्ट में मामला लंबित है।