‘यदि आप लुधियाना की राम नगर जैसी कालोनियों पर गौर करें तो आप फर्क नहीं कर सकते कि यह बिहार है या उत्तर प्रदेश की कालोनी है। इस कालोनी में सभी मकान इन्हीं दोनों प्रदेश वासियों के हैं, फिर चाहे वे वहां किराए पर रह रहे हों या फिर उनके अपने मकान हों। वहां दुकानदार भी प्रवासी ही हैं और वहां बिकने वाला सामान भी उनकी पसंद का ही है। यह कालोनी लुधियाना के हलका साहनेवाल में पड़ती है जहां करीब 2.98 लाख वोटर बसते हैं। इस इलाके में कृषि कानूनों की शायद ही कोई बात करता हो, लेकिन, लखीमपुर खीरी की बात जरूर होती है।’ यह कहना है इलाके के पूर्वांचल नेता एनके मिश्रा का जो भाजपा ग्रामीण के सचिव भी हैं।
उनके मुताबिक, मोटे अनुमान से इस हलके में 50 हजार से भी अधिक प्रवासी हैं जो ढंडारी, राम नगर, जीवन नगर, फोकल पाइंट आदि इलाकों में रहते हैं जो साहनेवाल इलाके में आते हैं। इस हलके में हमारे पास राजपूत मतदाता भी हैं। इस हलके में नगर निगम के पांच वार्ड आते हैं जहां अधिकांश मतदाता प्रवासी श्रमिक ही हैं। लेकिन यह सीट सुखदेव ढींडसा के शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के हिस्से आई है और उनका मानना है कि काश यह सीट भाजपा के पास होती लेकिन हम अब अपने गठबंधन सहयोगी के उम्मीदवार हरप्रीत सिंह गरचा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि हमारे लिए हर एक सीट महत्त्वपूर्ण है।
मिश्रा ने कहा, ‘मेरी पत्नी धर्मवती मिश्रा भाजपा की सक्रिय महिला नेता रही हैं जिनकी 2016 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। काश, पूर्वांचल के नेताओं को भी यहां पंजाब में चुनाव लड़ने का मौका मिल पाता क्योंकि प्रदेश की आर्थिकी में हमारा भी बड़ा योगदान है।’मिश्रा लुधियाना में साइकिल निर्माता एक कंपनी में प्रशासकीय विभाग के प्रमुख हैं और 35 साल से यही रह रहे हैं। वे मूल रूप से बिहार के गोपालगंज में गांव बंगिया के रहने वाले हैं। लेकिन उनके कई रिश्तेदार उत्तर प्रदेश में भी हैं जहां इन दिनों विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
यहां चंडीगढ़ रोड पर आभूषण की दुकान चलाने वाले गंगा सिंह ठाकुर कहते हैं, ‘अब मेरा एक बेटा बिहार में अपना व्यवसाय शुरू करने जा रहा है। उसने बी फार्मेसी की डिग्री पूरी की है। मेरा कामधंधा अब यहां जम गया है, इसलिए अब वहां लौटना मेरे लिए तो मुश्किल है। लेकिन बेहतर अवसर की तलाश में हमारे जैसे कई लोग अपने बच्चों को अपने गृह प्रदेश में ही जैसे-तैसे करके वहां कामधंधा जमाने के लिए भेज रहे हैं। हम तो यहीं पले-बढ़े हैं। यहां जीवन स्तर भी सुधार लिया है लेकिन बिहार-यूपी में अवसर अधिक हैं।’
एक अन्य बिहारवासी प्रवासी विजय कुमार पंजाब के मतदाता हैं और लुधियाना की ही मक्कड़ कालोनी में रहते हैं। बीस जन वाला उनका बड़ा संयुक्त परिवार यहीं रहता है। विजय यहां बड़े खुश हैं। उनके माता-पिता भी यहीं रहते हैं। पूरा परिवार पंजाबी बोलता है जबकि उनके बच्चे भी स्कूली पढ़ाई के तहत पंजाबी में अच्छे अंक पाते हैं। लेकिन उनका कहना है,‘हम बात करते हैं केजरीवाल और मोदी की। हमारे यूपी में भी रिश्तेदार हमारे साथ चुनावी माहौल पर बात करते हैं, लेकिन वोट किसे देना है, यह हमें अभी सोचना है क्योंकि हर कोई नेता आए दिन मुफ्त के वादे कर रहा है।’
इसी तरह शिरोमणि अकाली दल की प्रवासी इकाई के अध्यक्ष राम प्रसाद यादव का कहना है, ‘हमारे मोटे अनुमान के मुताबिक, इन दोनों प्रदेशों के करीब 50 लाख बाशिंदे पंजाब में बसते हैं जिनमें से 19 लाख तो अकेले लुधियाना में ही बसे हैं। लेकिन यह देखकर बड़ा दुख लगता है जब हममें से किसी पूर्वांचल नेता को विधानसभा चुनाव में टिकट मिलता नहीं। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले नगर निगम चुनाव में अकाली दल प्रवासी उम्मीदवारों को टिकट देगा क्योंकि कई पूर्वांचली नेताओं ने शिअद का दामन थामा है।’