मनराज ग्रेवाल शर्मा
भटिंडा के पास कोट शमीर गांव की रहने वाली वृद्ध दादी कुलवंत कौर ने कहा कि हमने 70 साल में 2 पार्टियों को देखा है लेकिन हमें क्या मिला? अब हम एक नए के लिए वोट करेंगे। 5 साल पहले बदलाव का जज्बा सिर्फ युवाओं में था लेकिन इस बार बड़ो में भी हैं। जैसे कि पंजाब के वोटर काफी चालाक होते हैं। हमेशा आखिरी क्षणों में लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं और मालवा की सड़कों पर उनका गुस्सा भी जायज है।
दीवारों पर लिखे हुए नारे जनता का मूड बता रहे हैं। ‘एक मौका भगवंत मान और केजरीवाल नू’ से लेकर ‘हम नहीं खाएंगे धोखा भगवंत मान और केजरीवाल को देंगे मौका’। पंजाब में 117 सदस्यीय विधान सभा में 69 विधानसभा सीटें मालवा रीजन से आती हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की छपी एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के कुल किसानों की आत्महत्या का 97.3% आत्महत्या मालवा में होती है।
पंजाब के सरदूलगढ़ के भटा मलूका गांव जो मानसा जिले में पड़ता है, जिसे किसान आंदोलन का केंद्र भी कहा जाता है, वहां की युवा सुमनदीप कौर ने कहा कि वो और उनके दोस्तों ने तय किया है कि वे लोग दोनों पारंपरिक दलों से हटकर वोट करेंगे। सुमनदीप कौर ने कहा कि 70 साल हो गए हैं लेकिन हमारे गांव का स्कूल अभी भी कक्षा 8 तक ही है। कोई नौकरी नहीं है, लड़के ड्रग्स लेते हैं ,पानी गंदा है और सड़कों पर गड्ढे हैं। हम उन्हें क्यों वोट करे?
तलवंडी साबो के पास भागी वंदर गांव में मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों के एक समूह के साथ बैठे टेलीकॉम इंजीनियर हरकीरत सिंह ने अपने पड़ोस के 3 युवाओं के बारे में बताया जिनकी मृत्यु पिछले साल ड्रग्स के ओवरडोज से हो गई थी। वादे पूरे क्षेत्र में गूंजते रहे और 2017 के चुनाव में कांग्रेस को मालवा में 40 सीटें मिली जो 1997 के बाद कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। वहीं आम आदमी पार्टी ने 20 सीटों में 18 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की, जबकि अकाली दल को सिर्फ 8 सीटें मिली। यह अकाली दल का क्षेत्र में सबसे खराब प्रदर्शन था।
भले ही कांग्रेस पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदल दिया हो लेकिन नशीले पदार्थों को जड़ से खत्म करने का वादा अभी भी उनको परेशान कर रहा है और अक्सर कांग्रेस और अकाली दल के बीच मिलीभगत के आरोप भी लगते हैं। अकाली दल पर लगातार दो कार्यकाल (2007 से लेकर 2017 तक) के दौरान राज्य में ड्रग्स को बढ़ावा देने के आरोप भी लगते हैं।
क्षेत्र में आम आदमी पार्टी और भगवंत मान जो संगरूर से 2 बार के सांसद हैं के बढ़ते प्रभाव को दूर करने के लिए कांग्रेस ने 2 सीटों से सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस को उम्मीद है कि रविवार को मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम का ऐलान करने के साथ ही यहां पर दलित वोट उनके पक्ष में आएगा, क्योंकि 32 आरक्षित सीटों में 20 सीटें इसी क्षेत्र से आती है।
नशीले पदार्थों के प्रभाव को रोकने में कांग्रेस असफल साबित हुई। कई सीटों पर विरोधियों ने संघर्ष किया और जब तक पार्टी एक्शन लेती तब तक बहुत देर हो चुकी थी। साथ ही काम न करने के आरोपों के बाद भी कांग्रेस ने 80 में सिर्फ 11 विधायक के ही टिकट को बदला है।
अकाली दल को उम्मीद है कि सत्ता विरोधी लहर के कारण और आम आदमी पार्टी और दो नई पार्टियों के बीच वोटों के बटवारा होने से अकाली दल को फायदा होगा। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने पूछा कि, “कैसे आम आदमी पार्टी खुद को एक विकल्प के रूप में लोगों से कह रही है जब उसकी पार्टी के आधे से अधिक उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से आए हुए हैं?”
बीजेपी जो कैप्टन अमरिंदर की पंजाब लोक कांग्रेस और अकाली दल के कद्दावर नेता रहे सुखबीर सिंह ढींडसा की पार्टी संयुक्त अकाली दल के साथ गठबंधन कर मैदान में है, गठबंधन को उम्मीद है कि शहरों में इन्हें वोट मिलेंगे। लेकिन अब वोटर सवाल अधिक पूछते हैं। वो जवाब देते हैं कि हम भी बदल गए हैं और वक्त भी बदल गया है। अब हमें वे (राजनेता) और बेवकूफ नहीं बना सकते।
भिखी शहर में तंगहाली में मोटर वर्कशॉप चलाने वाले बलविंदर सिंह ने कहा कि, “शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान न देने के कारण बदलाव की उनकी व्यापक इच्छा हुई है। उन्होंने कहा कि , “गाँव में हम में से 20 थे जो एक साथ पढ़ते थे। आज केवल एक के पास नौकरी है और मैंने यह व्यवसाय स्थापित किया है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इससे कितना असंतोष है।”
12वीं के बाद युवा पंजाब में नहीं टिकते। अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के लंबी विधानसभा क्षेत्र के युवा किसान लवदीप सिंह ने बताया कि गांव के 27 युवाओं ने महामारी के बावजूद IELTS के माध्यम से विदेश की ओर रुख किया। कम से कम 50 और युवाओं ने परीक्षा पास कर ली है और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
गुस्सा ग्रामीण-शहरी विभाजन को खत्म कर देता है। किसान और व्यापारी दोनों ही ऊंची कीमतों और व्यापार करने में कठिनाई से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि लोग खरीदारी में कटौती कर रहे हैं और उनका मुनाफा कम कर रहे हैं। हर मौसम में लागत बढ़ने के साथ, खेती अब लाभदायक नहीं रह गई है। मालवा में एक एकड़ का किराया या ठेका दोआबा और माझा में 40,000 रुपये के मुकाबले 70,000 रुपये प्रति एकड़ है, जिसके कारण कई किसानों ने पट्टे पर जमीन लेना बंद कर दिया है।
ड्रग ने मालवा में छोटे अपराधों को जन्म दिया है। कोटकापुरा की दो महिला पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह चलते समय अपना मोबाइल फोन यूज नहीं कर सकती, क्योंकि उन्हें नहीं पता कि कब कोई युवा नशे में उनका मोबाइल फोन छीन लेगा और यह शिकायत पूरे मालवा में है।
जीवन सिंह वाला में लंबी दाढ़ी वाले शिंदर सिंह यह सोचते हैं कि विकास गलियों और नालियों की मरम्मत से आगे क्यों नहीं जा पाता है? इतना भ्रष्टाचार है, सड़कों को हमेशा मरम्मत की आवश्यकता क्यों होती है? हम शिक्षा और स्वास्थ्य की बात कब करेंगे?
उनसे पूछा गया कि वह इस बार किसे वोट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार उनका वोट अरविंद केजरीवाल की नीतियों के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि , “मैंने पिछली बार कांग्रेस को वोट दिया था, उससे पहले मैं एक कट्टर अकाली था, लेकिन अब मैं केजरीवाल के स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली के लिए मतदान कर रहा हूं।”
जैतो में राजनीतिक विज्ञान की लेक्चरर नमरजीत कौर ने बताया कि, “राजनीतिक पंडित कहते हैं कि पारंपरिक रूप से पंजाबी वोट करते समय तीन बातों पर ध्यान देते हैं। उम्मीदवार, मुख्यमंत्री चेहरा, और राजनीतिक दल। लेकिन इस बार इसके उलट हो रहा है।” तलवंडी साबो के लोगों ने बताया कि यह सही है कि वर्तमान आप विधायक बलजिंदर कौर उन्हें धन्यवाद कहने के लिए भी नहीं आए लेकिन फिर भी भगवंत मान के कारण उनको वोट करेंगे।
नमरजीत कौर ने कहा कि आम आदमी पार्टी की अपील मुफ्तखोरी से परे है, क्योंकि लोग मौजूदा व्यवस्था से तंग आ चुके हैं। जहां आपको काम करने के लिए हाथों को ढीला करना पड़ता है। कौर ने कहा कि मेरे पति एक प्रतिष्ठित डॉक्टर है और मैं अच्छी तरीके से जुड़ी हुई हूं, फिर भी मुझे अपनी प्रॉपर्टी रजिस्टर करवाने में समस्या आ रही है। वही तलवंडी साबो में एक व्यापारी ने दावा किया कि उसके बेटे को एनडीपीएस एक्ट में फंसाया गया और पुलिस ने उसके बदले उससे मोटी रिश्वत की मांग की थी।
कुछ ऐसे स्थान हैं जहां उम्मीदवार लोगों से उन पर ध्यान केंद्रित करने को कह रहे हैं ,ना कि पार्टी पर। मौर में गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लखा सिधाना को किसान पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने मैदान में उतारा है और उनको बढ़त हासिल है। वहीं राजस्थान की सीमा से लगे अबोहर में स्थानीय लोगों ने बताया कि कांग्रेस के संदीप जाखड़ आगे चल रहे हैं।
इसके बाद डेरा फैक्टर है। 2015 की बेअदबी की घटनाओं के बाद अकालियों का डेरा सच्चा सौदा के साथ टकराव हुआ, जिसकी साउथ मालवा में एक बड़ी उपस्थिति है। हाल ही में कांग्रेस ने डेरा प्रमुख के एक रिश्तेदार हरमिंदर जस्सी को टिकट देने से इनकार कर दिया। ऐसी चर्चा है कि डेरा अनुयायी आम आदमी पार्टी को समर्थन कर सकते हैं। हालांकि चुनावी खेल में पुराने लोगों का कहना है कि एक करीबी मुकाबला होने जा रहा है। कई पार्टियों के होने से वोट बिखर जाएंगे। पार्टी वोट है जो कहीं नहीं जाते हैं। फिर हर गांव में कुछ वोट हथियाने के लिए तैयार हैं।