पंजाब में मतदान में अब दो हफ्तों से भी कम समय बचा है। सभी दलों के नेता अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार-प्रसार में तेजी ला दिए हैं। इस बीच कई नेताओं को विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। खास तौर पर किसानों में सरकार और उनकी नीतियों को लेकर नाराजगी है। राज्य के बरनाला जिले के भदौड़ विधानसभा क्षेत्र के गांवों में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को देखकर वहां मौजूद किसानों ने जोरदार विरोध किया।
गांव कोटदुना में भारतीय किसान यूनियन उग्रहा से जुड़े किसानों ने नरमे की फसल का मुआवजा न देने, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और अपराध जैसे मुद्दों को लेकर अपना गुस्सा निकाला।
विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान सीएम चन्नी से अपने सवालों का जवाब चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री बिना उनकी बातों को सुने हाथ हिलाते आगे निकल गए। इससे किसानों का आक्रोश और बढ़ गया। किसानों का आरोप है कि गांव के कई किसानों की नरमे की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है, लेकिन अभी तक किसी भी किसान को मुआवजा नहीं मिला है।
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने मंगलवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह की गरीब पृष्ठभूमि की छवि पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी नेता राहुल गांधी को चन्नी को गरीब समझने के लिए ‘गुमराह’ किया गया है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा घोषित मुख्यमंत्री पद का चेहरा भगवंत मान ने भी अलग से गांधी के उस बयान पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने चन्नी को ‘‘गरीब घर’’ का बताया था। मान ने पूछा कि वह ‘‘ किस कोण’’से ‘‘गरीब’’ हैं।
पंजाब लोक कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की घोषणा करके बड़ी गलती कर दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का फैसला क्षमता के आधार पर होना चाहिए न कि जाति के आधार पर।’’ उन्होंने दावा किया कि पंजाब को पहले कभी जाति या धर्म के आधार पर नहीं बांटा गया।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा, ‘‘चन्नी में मुख्यमंत्री के तौर पर क्षमता नहीं है और उनके बड़े-बड़े दावे राज्य के लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते।’’ आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का फैसला क्षमता के आधार पर होना चाहिए न कि जाति के आधार पर, फिर चाहे वह अनुसूचित जाति हो, जाट हो या हिंदू हो।’’