कांग्रेस के विधायक बलविंदर सिंह लड्डी ने पिछले 45 दिनों में तीन बार पार्टियां बदली हैं। बता दें कि बलविंदर सिंह कांग्रेस के हरगोविंदपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं। कांग्रेस विधायक ने पहले बीजेपी ज्वाइन की ,फिर कुछ दिन बाद ही कांग्रेस में वापस लौट आएं और उसके बाद फिर बीजेपी में शामिल हो गए। वर्तमान में बलविंदर सिंह बीजेपी में है। 50 वर्षीय बलविंदर सिंह एक किराना स्टोर के मालिक रह चुके हैं। उसके बाद सरपंच से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष होते हुए विधायक तक का सफर करते हुए कई बार कांग्रेस के शतरंज की बिसात पर पलटवार करते हुए हमेशा अपने पैरों पर खड़े रहे।
लड्डी को पहली बार सत्ता का स्वाद 80 के दशक के अंत में मिला जब बलविंदर सिंह अपने गांव शाहबादपुर के सरपंच चुने गए और उस वक्त उग्रवाद चरम पर था। गांव के सरपंच की मृत्यु के बाद गांव उनके विकल्प को नहीं ढूंढ पाया, जिसके बाद बलविंदर सिंह लड्डी जो एक दुकानदार थे वह एक आश्चर्यजनक विकल्प के रूप में उभरे।
उसके बाद किस्मत ने कभी लड्डी का साथ नहीं छोड़ा। सरपंच पद के बाद 1994 में बटाला आरक्षित सीट से गुरदासपुर जिला परिषद सदस्य बनें। 2002 से 2007 के बीच अमरिंदर सिंह की पहली सरकार के दौरान लड्डी तत्कालीन कांग्रेस विधायक अश्वनी शेखरी ( इस बार बटाला से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं) के करीब हो गए। लड्डी गुरदासपुर जिला परिषद का अध्यक्ष बनने के लिए शेखरी को श्रेय देते हैं।
लेकिन जल्द ही बलविंदर सिंह ने बड़ा दांव लगाया और उन्होंने प्रताप सिंह और फतेह जंग सिंह बाजवा की शक्तिशाली जोड़ी के साथ निकटता बना ली, जो कांग्रेस में अश्वनी शेखरी के प्रतिद्वंदी थे। ऐसा कहा जाता है कि इसी दोस्ती ने लड्डी को 2012 के विधानसभा चुनाव में हरगोविंदपुरा से टिकट दिलाने में मदद की थी। हालांकि उस समय वह चुनाव हार गए थे लेकिन 2017 में उन्होंने फिर से टिकट हासिल किया और ऐसे समय जीत हासिल की जब कांग्रेस ने माझा में क्लीन स्वीप किया। साल 2019 में जब कांग्रेस पहले से ही अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच फंसी हुई थी, उस वक्त लड्डी ने कहा कि प्रताप सिंह बाजवा अगले सीएम हो सकते हैं। फिर अगले दिन अमरिंदर सिंह ने लड्डी से संपर्क किया और उसके बाद लड्डी अमरिंदर सिंह के समर्थन में आ गए।
अमरिंदर सिंह और बाजवा के विवाद के बीच लड्डी ने हमेशा कैप्टन अमरिंदर के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखें। लेकिन जैसे पार्टी में गतिविधियां आगे बढ़ी और सिद्धू कैप्टन को सीएम पद से हटाने की कोशिश कर रहे थे, उस समय लड्डी ने हमेशा अमरिंदर सिंह का साथ दिया। हालांकि जब कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाया उसके बाद लड्डी ने सिद्धू खेमे को ज्वाइन कर लिया। बलविंदर सिंह लड्डी और फतेह सिंह बाजवा यह दोनों विधायक सिद्धू की 6 दिसम्बर की कादियान रैली के मुख्य आयोजक थे।
दिसंबर के अंत में बलविंदर सिंह लड्डी अपने साथी फतेह जंग के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। 28 दिसंबर को जब फतेह जंग को बीजेपी ने बटाला से उम्मीदवार बनाया और लड्डी को कुछ दिनों तक उम्मीदवार नहीं बनाया, फिर लड्डी ने वापस कांग्रेस ज्वाइन कर ली। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से फोन पर बात करने के बाद लड्डी ने कांग्रेस ज्वाइन की थी। 11 फरवरी को (जब कांग्रेस ने लड्डी को टिकट नहीं दिया) लड्डी ने फिर से बीजेपी के दरवाजे को खटखटाया और एंट्री की।
लड्डी के बीजेपी ज्वाइन करने पर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुग ने कहा कि, “कांग्रेस में मेहनती नेताओं के पास कोई विकल्प नहीं है। लड्डी ने बीजेपी इसलिए ज्वाइन की है क्योंकि वह पार्टी की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित है। कांग्रेस ने उन पर गलत हथकंडे द्वारा दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन जब कांग्रेस में अंदरूनी कलह चल रही है, तब कोई मेहनती नेता पार्टी में क्यों रहेगा जब पार्टी उनके अनुभव और कार्यों को महत्व नहीं देती।”
इसी बीच बलविंदर सिंह लड्डी जो अब एक ट्रैक्टर एजेंसी के मालिक भी हैं, वो अपनी अपेक्षाओं और इरादों को लेकर स्पष्ट हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि, “मैं कांग्रेस में वापस गया क्योंकि मुख्यमंत्री चन्नी ने टिकट देने का वादा किया था, लेकिन यह नहीं हो सका। मैंने खुद से पार्टी छोड़ी थी। मैं यहां पर राजनीति करने के लिए हूं। मैं राजनीतिक रूप से कैसे रह पाऊंगा अगर पार्टी मुझे कोई जिम्मेदारी नहीं देगी? इसलिए मैंने बीजेपी को ज्वाइन करने के बारे में सोचा जो एक राष्ट्रीय पार्टी है और वह मुझे टिकट देने को तैयार थे। मैंने भले ही बस छोड़ दी हो लेकीन भविष्य में बहुत मौके हैं।”