पंजाब में किसान नेताओं का दो संगठन चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुका है। पहले बताया जा रहा था कि इसमें से एक संगठन, जिसका नेतृत्व राजेवाल कर रहे हैं, आप के साथ गठबंधन कर सकता है, हालांकि अब राजेवाल ने साफ कर दिया है, वो आप के साथ गठबंधन में नहीं जा रहे हैं।
आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए किसान नेताओं के दो राजनीतिक संगठनों ने रविवार को चुनाव से पहले गठबंधन के लिए बातचीत करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि इन संगठनों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा को भी फिलहाल टाल दिया है।
इन दोनों संगठनों- गुरनाम सिंह चढूनी की संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) और बलबीर सिंह राजेवाल की संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम)- अब पंजाब चुनाव के लिए एक साथ आने की तैयारी कर रहे हैं। राजेवाल ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि उनका संगठन केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या एसएसएम, चढूनी के संगठन के साथ गठजोड़ करेगा, तब राजेवाल ने कहा- “समय बताएगा।”
गठबंध के सवाल पर चढूनी ने भी कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि दोनों पक्षों के बीच गठबंधन की बातचीत कैसे होती है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा- “दोनों दलों की रविवार को पंजाब चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने की योजना थी। लेकिन चंडीगढ़ में हुई बैठक में हम उम्मीदवारों की सूची को फिलहाल टालने के लिए आम सहमति पर पहुंचे हैं। हम देखेंगे कि आने वाले दिनों में संभावित गठबंधन के लिए कोई प्रगति होती है या नहीं। फिलहाल, हम यह नहीं कह सकते कि भविष्य में चीजें कैसे आकार लेंगी।”
चढूनी हमेशा से कहते रहे हैं कि आने वाले चुनावों के लिए वो सभी कृषि संगठनों को एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा- “अच्छा होगा कि हम मिलकर चुनाव लड़ें। मैं शुरू से इस पर जोर दे रहा हूं, लेकिन मुझे पहले अन्य गुटों से प्रतिक्रिया नहीं मिली। अगर दोनों गुट अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो यह अच्छा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि मोर्चा एक या दो दिनों के भीतर उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा कर सकता है, यह कहते हुए कि उनके पास समाज के सभी वर्गों के उम्मीदवार होंगे।
राजेवाल की यह घोषणा कि एसएसएम आप के साथ नहीं जाएगी, प्रतिद्वंद्वी दलों के लिए राहत की बात है, क्योंकि गठबंधन राज्य में एक मजबूत मोर्चे के रूप में सामने आ सकता था। कई लोग राजेवाल को गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में देख रहे थे। बताया जा रहा है कि आप, राजेवाल को केवल 10 सीटों की पेशकश कर रही थी, जबकि उन्हें कम से कम 60 सीटें चाहिए थीं। हालांकि राजेवाल ने इन खबरों का खंडन किया है।
यह माना जा रहा है कि अगर दोनों गुट हाथ मिलाते हैं, तो यह गठबंधन पंजाब में एक मजबूत ताकत के रूप में उभर सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि किसान संगठनों की एकजुट लड़ाई पंजाब में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकती है।