मनजीत सिंह दसुया एक एनआरआई से भरे प्लेन में 2017 के चुनाव के पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी को समर्थन करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने अपनी अमेरिकी नागरिकता भी इस उम्मीद में छोड़ दी थी की पार्टी उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाएगी। लेकीन ऐसा हो नहीं पाया।
मनजीत सिंह ने 5 साल पहले ही अपने अमेरिकी पासपोर्ट को भी सरेंडर कर दिया था, लेकिन वो 2017 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट में अपनी जगह बनाने में नाकामयाब रहे। उनके परिवार में उनकी एक बेटी और दो बेटे हैं जो यूएस में रहते हैं। मनजीत सिंह की पत्नी यूएस ग्रीन कार्ड धारक हैं। 68 वर्षीय मंजीत सिंह जो रिजॉर्ट के मालिक भी हैं और अब पीछे मुड़कर देखते हैं तो अपनी गलतियों पर पछताते हैं, जिसके कारण उन्हें 5 साल पहले परिवार से अलग होना पड़ा।
पांच साल पीछे रहने वाले मंजीत सिंह अब 20 फरवरी के चुनाव में राजनीतिक रूप से उतरने के लिए तैयार हैं। लेकीन ‘आप’ के उर्मर उम्मीदवार के रूप में नहीं बल्कि शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार संगत सिंह गिलजियान हैं, जो कैबिनेट मंत्री हैं और इन्होंने 2017 में सीट जीती थी। शिरोमणि अकाली दल की सहयोगी बसपा ने उर्मर से लखविंदर सिंह को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया है। जबकि आप उम्मीदवार जसवीर सिंह गिल हैं, जिन्होंने उर्मर से 2017 का भी चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे।
शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) जिसके अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा है। उनकी पार्टी बीजेपी और पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
मनजीत सिंह के अनुसार 35 साल पहले वह अमेरिका गए थे और शिरोमणि अकाली दल के नॉर्थ अमेरिका विंग के 5 साल तक चीफ बने रहे। उन्होंने दावा किया कि उसके बाद भी वह अकाली दल के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन 2015 में जब अकाली दल की सरकार थी उस दौरान बेअदबी की घटनाओं के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मनजीत सिंह ने कहा कि, “2017 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपने साथी NRI’S के साथ अमेरिका में एक मीटिंग की और उस दौरान मैंने फैसला लिया कि मैं 2017 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट पर लडूंगा। उस समय पंजाब में आम आदमी पार्टी की लहर थी। मेरे साथी NRI’S ने मुझे इसके लिए प्रेरित भी किया कि मैंने अच्छा फैसला लिया है। आम आदमी पार्टी ने भी मुझे भरोसा दिखाया कि मुझे टिकट मिलेगा लेकिन उसके लिए मुझे अमेरिकी नागरिकता छोड़नी होगी। मैंने ये किया और अमेरिकन पासपोर्ट सरेंडर कर दिया और भारतीय पासपोर्ट हासिल किया।”
मंजीत सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने सौदे के अपने हिस्से का सम्मान नहीं किया और उन्हें उर्मर से मैदान में नहीं उतारा। टिकट न मिलने से नाराज मनजीत सिंह ने 15 दिन के अंदर ही आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया और अकाली दल के ढींडसा गुट को ज्वाइन कर लिया। मंजीत सिंह ने कहा कि, “मैं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन एसजीपीसी के चुनाव लंबे समय से नहीं हुए हैं। मैं मना नहीं कर सकता क्योंकि ढींडसा परिवार के साथ मेरे बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध है क्योंकि मैं उन्हें अमेरिका में होस्ट करता था।”
गुरप्रीत घुग्गी ने 2017 के चुनावों में बटाला विधानसभा क्षेत्र से AAP उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। उन्होंने कहा कि, “मंजीत सिंह दसूया आम आदमी पार्टी से टिकट के आकांक्षी थे और उस संबंध में बैठकें भी हुई थीं। उन्होंने साफ कर दिया था कि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने अमेरिकी नागरिकता सरेंडर कर दी है। आखिरकार पार्टी आलाकमान उन्हें टिकट देने के लिए तैयार नहीं हुआ।”
जब मनजीत सिंह से पूछा गया कि अमेरिकी नागरिकता छोड़ने के लिए आपको पछतावा होता है। उस पर मनजीत सिंह ने कहा कि, “बहुत ज्यादा क्योंकि मैं अपने परिवार से अलग हो गया उस झूठे आश्वासन के लिए जो मुझे दिया गया था। मेरे बच्चे मेरे पास आते हैं लेकिन अब हम एक साथ परिवार के तरीके से नहीं रह पा रहे हैं। मेरी पत्नी जो अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक है वह मेरे साथ रह रही है।”