पंजाब विधानसभा चुनावों के आ रहे नतीजों से करीब-करीब साफ हो गया है कि राज्य में कांग्रेस का बोलबाला है। जबकि बड़ी उम्मीदों से विधानसभा चुनावों में उतरी आप आदमी पार्टी को वह सफलता नहीं मिलती दिख रही, जिसका उसने सपना देखा था। पंजाब से आप के सीनियर नेता भगवंत मान ने राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन फिलहाल आ रहे नतीजों में पार्टी ने अब तक एक सीट जीती है और वह 20 सीटों पर आगे चल रही है। सबसे आगे कांग्रेस है। लेकिन सवाल यहां यह उठ रहा है कि आखिर क्यों आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर जनता ने पानी फेर दिया। नतीजे आने से पहले ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाउडस्पीकरों पर जय हो के नारे लगाने शुरू कर दिए थे। लेकिन शुरुआत के दो घंटों की काउंटिंग के बाद ही यह साफ हो गया कि पार्टी राज्य में दूसरे नंबर के लिए लड़ रही है। पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि पंजाब और गोवा के नतीजे पार्टी के लिए एक बड़ा सबक है कि वह वोटरों को रिझाने में कहां नाकाम रही। दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती ने कहा कि हम राजनीति में नए हैं, हमें नंबर जरा कम समझ में आते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस के बाद सिर्फ आम आदमी पार्टी ही एेसी होगी जिसकी दो से ज्यादा राज्यों में मौजूदगी होगी। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों राज्य में पार्टी का दिल्ली जैसा जादू नहीं चल पाया।

सिरसा डेरा से समर्थन नहीं: रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब में आप की हार का एक बड़ा कारण सिरसा डेरा बताया जा रहा है। पहले डेरा की तरफ से एेलान किया गया था कि वह अकाली और बीजेपी गठबंधन को समर्थन देगा। इस डेरा से गांव के लोगों का काफी जुड़ाव है। इतना ही नहीं राज्य के दलित समुदाय में भी इस डेरे का काफी प्रभाव है। कहा जा रहा है कि इस डेरे का चुनाव पर हमेशा ही काफी प्रभाव रहा है। राज्य में डेरा हमेशा से चुनाव से पहले किसी पार्टी को समर्थन किया करता रहा है। इस बार डेरा ने अकाली बीजेपी को समर्थन का ऐलान क्या किया, आम आदमी पार्टी के पैरों के तले से जमीन सरक गई और पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

सुच्चा सिंह छोटेपुर का जाना: पार्टी के इस नेता को अगस्त में पंजाब इकाई के संयोजक पद से हटा दिया था। एक कथित स्टिंग ऑपरेशन में छोटेपुर कथित रूप से विधानसभा टिकट के ऐवज में पैसे लेते दिख रहे थे, हालांकि वह इसे अपने खिलाफ साजिश करार देते रहे। उस समय उन्होंने जिस तल्ख अंदाज में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर हमला किया और उन्हें ‘सिख विरोधी’ तक बता डाला था। वहीं से यह कहा जाने लगा था कि चुनाव में वह पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं और यही सच साबित हो गया।

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इसके अलावा आम आदमी पार्टी की हार के एक बड़ा कारण पंजाब को बाकी दो बड़े इलाके दोआबा और माझा में पार्टी के कमजोर संगठन का असर भी रहा है। यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी ने माझा इलाके पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं किया। अभी तक के रुझानों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी यहां पर भी सभी सीटों पर बढ़त नहीं बना पाई है।

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