पंजाब विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने ऐलान किया है कि वो बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल को पूर्ण समर्थन देगी। यह ऐलान डेरे के राजनीतिक विंग के चेयरमैन राम सिंह ने किया है। वहीं शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब में डेरामुखी के सत्संग कार्यक्रम को कराने का वादा किया है। आपको बता दें कि 2007 के विवाद के बाद से डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का पंजाब में कोई सत्संग नहीं हुआ है। वह 10 साल से पंजाब भी नहीं आए हैं। हालांकि उनके डेरों में पहले की तरह कार्यक्रम होते रहते हैं। हालांकि, इस बीच डेरा सच्चा सौदा के ऐलान के बाद से पंजाब विधानसभा चुनाव में कई क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण प्रभावित होने की संभावना है। पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 4 फरवरी को होना है। यहां इस बार सत्ता संभाल रही शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से है।
इस चुनाव में सभी दलों की निगाहें हाई प्रोफाइल सीटों पर है, जिसमें लांबी, जलालाबाद, अमृतसर पूर्व, लहरागग्गा, पटियाला और बटाला है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल लांबी विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ रहे हैं। उनको इस सीट से टक्कर कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह और आम आदमी पार्टी से जरनैल सिंह दे रहे हैं। जरनैल सिंह दिल्ली से आम आदमी पार्टी के विधायक थे, जिन्होंने इस्तीफा देकर लांबी से चुनाव मैदान में दावा ठोंका है। बता दें कि पंजाब में 117 विधानसभा सीटें हैं।
डेरा सच्चा सौदा के समर्थन वाले बयान पर तलवंडी साबो के विधायक व अकाली दल के प्रत्याशी जीत महिंदर सिंह ने कहा है कि हमारी सरकार बनते ही पंजाब में डेरामुखी के सत्संग कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले मैंने तलवंडी साबो में यह घोषणा की थी। अब फिर से अपना वादा दोहरा रहा हूं। उनकी इस घोषणा का डेरा प्रेमियों व राजनीतिक विंग के समर्थकों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।
इससे पहले 30 जनवरी को डेरा मुखी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपने अनुयायियों को एकजुट होने का संदेश दिया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही डेरे का राजनीतिक विंग समर्थन का ऐलान करेगा। डेरे का दावा है कि मालवा के बठिंडा, मानसा, श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, फिरोजपुर व मोगा में उनके पांच लाख समर्थक हैं। मालवा की 69 में से 40 सीटों पर डेरे का खासा प्रभाव है।
गौरतलब है कि मई 2007 में डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम दशम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का वेश धारण करने के बाद विवादों में आए थे। जिसके बाद उनका काफी विरोध हुआ था और 16 जुलाई, 2007 को डेरा मुखी पर हमला भी हुआ था। इसके बाद डेरा ने माफी मांगते हुए कहा था कि वे सभी सिख गुरुओं का सम्मान करते हैं। डेरा के एक प्रतिनिधिमंडल ने अकाल तख्त के माध्यम से सिख संगठनों से मिलकर भी गलती स्वीकार की थी।
अकाल तख्त ने इस माफी को नाकाफी बताया था, लेकिन इसे खारिज नहीं किया। इस दौरान डेरा मुखी के खिलाफ सिखों की भावनाओं को आहत करने के आरोप में आपराधिक केस भी दर्ज किया गया था, जिसे 2009 में बाद में सिरसा कोर्ट व बाद 2014 में बठिंडा कोर्ट ने रद्द कर दिया था। 2 फरवरी, 2008 में डेरामुखी पर फिर हमला हुआ। इमसें 11 लोग जख्मी हुए थे। 27 सितंबर, 2015 को अकाल तख्त ने डेरा का माफीनामा स्वीकार कर लिया था। विरोध के बाद अकाल तख्त ने 16 अक्टूबर को माफीनामा अस्वीकार कर दिया था।

