ओडिशा में पहली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई है, पूर्ण बहुमत के साथ उसकी सरकार बनने जा रही है। नवीन पटनायक का कई सालों के शासन का राज्य में अंत हो गया है। अब सरकार तो बीजेपी की बन रही है, लेकिन उससे पहले राज्य के अस्पतालों में एक कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। उस कन्फ्यूजन की वजह से कई मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है।
मरीजों के लिए कैसे बनी मुसीबत?
असल में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने पटनायक सरकार की बिजू स्वास्थ्य कल्याण योजना को निशाने पर लिया था। कहा गया था कि अगर ओडिशा में बीजेपी की सरकार बनी तो केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। पार्टी का तर्क था कि पटनायक की बिजू स्वास्थ्य कल्याण योजना सिर्फ सीमित लोगों तक लाभ पहुंचा पाती है, ऐसे में इसे बंद करना जरूरी है।
अस्पताल क्यों हो रहे परेशान?
अब हुआ यह है कि ओडिशा में बीजेडी की सरकार गिर चुकी है, बीजेपी ने पहली बार अपने दम पर राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इस वजह से सभी प्राइवेट अस्पतालों को लग रहा है कि अब पुरानी योजना के तहत मरीजों का इलाज नहीं किया जा सकता। तर्क दिया गया है कि अगर अब किसी भी मरीज को फ्री इलाज दिया गया, तो उन्हें पैसा कौन देगा। उनकी चिंता इसलिए ज्यादा है क्योंकि बीजेपी ने इस योजना को बंद करने का ऐलान पहले ही कर दिया था।
स्वास्थ्य विभाग ने क्या बोला?
लेकिन इस बढ़ते कन्फ्यूजन के बीच राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने साफ कर दिया है कि जब तक बीजेपी सरकार का गठन नहीं हो जाता, पुरानी वाली योजना लागू रहेगी। जो अस्पताल मरीजों का इलाज करने से मना करेगा, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात भी कही गई है। अब जानकारी के लिए बता दें कि चुनावी मौसम में बिजू स्वास्थ्य कल्याण योजना और आयुष्मान योजना के बीच तकरार देखने को मिला था।
क्या थी पटनायक की योजना?
साल 2018 में आयुष्मान योजना के लॉन्चिंग से एक महीने पहले ही नवीन पटनायक ने बिजू स्वास्थ्य कल्याण योजना शुरू कर दी थी। इस योजना के तहत 90 लाख लोगों को सीधा फायदा पहुंचाया गया, पुरुषों को पांच तो महिलाओं को 10 लाख तक का इलाज मुफ्त में मिला। इस स्कीम में कुल 650 प्राइवेट अस्पतालों को शामिल किया गया था। लेकिन अब बीजेपी इस योजना के बजाय आयुष्मान भारत लागू करने वाली है।