छत्तीसगढ़ में सत्ता और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाद अब कांग्रेस में राज्यसभा की सीटों के लिए भी संघर्ष शुरू होने वाला है। छत्तीसगढ़ के कोटे में संसद के उच्च सदन की पांच सीटें हैं। 2000 में नया राज्य बनने के बाद से ही यहां की तीन सीटें भाजपा के ही हाथ में रही हैं। इस बार यह रिकॉर्ड टूटना तय है। फिलहाल राज्य से भाजपा से सरोज पांडेय, रामविचार नेताम और रणविजय सिंह जूदेव जबकि कांग्रेस से मोतीलाल वोरा और छाया वर्मा राज्यसभा सांसद हैं।

…ऐसा है यहां की राज्यसभा सीटों का गणित

हालांकि राज्यसभा से पहले राज्य में लोकसभा के लिए चुनाव होंगे। ऐसे में उन चुनावों के नतीजों के बाद ही राज्यसभा चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ होगी। लेकिन नेताओं ने जद्दोजहद अभी से शुरू कर दी है। राज्य में कुल 90 विधायक हैं। इनमें से एक सीट जीतने के लिए 45 विधायकों की जरूरत होगी। इस विधानसभा चुनाव में राज्य की 90 में से 68 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी महज 15 सीटों पर सिमट गई है। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी के पास दो और अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास पांच सीटें हैं।

अप्रैल 2020 में खाली होंगी दो सीटें

रणविजय सिंह जूदेव और मोतीलाल वोरा का कार्यकाल 9 अप्रैल 2020 पूरा होने वाला है। इससे पहले लोकसभा चुनाव भी है। उसके बाद तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी कि इन दो सीटों पर कितने दावेदार हैं। फिलहाल इनमें से एक कांग्रेस और एक भाजपा के पास है। विधायकों की संख्या के हिसाब से एक सीट तो कांग्रेस के खाते में जाना तय है। दूसरी सीट के लिए कांग्रेस पास 18 विधायक होंगे लेकिन यह सीट जीतने के लिए उसे जोगी कांग्रेस और बसपा का साथ जरूरी होगा। इसके बाद 2022 में फिर भाजपा-कांग्रेस की एक-एक सीट खाली होगी। ऐसे में यदि कांग्रेस प्रबंधन में मजबूत रही चार सीटें अपने नाम कर सकती हैं।