New Delhi Lok Sabha Elections: नई दिल्ली लोकसभा सीट मतदाताओं की संख्या के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सबसे छोटी सीट है। यहां के 14.81 लाख पंजीकृत मतदाता 25 मई को 17 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इन सत्रह उम्मीदवारों में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) और इंडिया गठबंधन की ओर से मैदान में उतरे आम आदमी पार्टी (आप) के सोमनाथ भारती (Somnath Bharti) के बीच सीधी और बराबरी की टक्कर बताई जा रही है। बांसुरी और सोमनाथ दोनों ही पेशे अधिवक्ता हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हुए राजकुमार आनंद ( BSP Candidate Rajkumar Anand) भी इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
नई दिल्ली लोकसभा सीट की अहमियत इसी बात से लगाई जा सकती है कि राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और सांसदों के बंगले इसी के अंतर्गत आते हैं। इस संसदीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में केंद्र और राज्य सरकार के दफ्तर और कालोनियां हैं। यही वजह है कि यहां के मतदाताओं में ज्यादा तादाद सरकारी कर्मचारियों की है।
इस क्षेत्र की नुमाइंदगी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री जगमोहन, अजय माकन और फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना कर चुके हैं। जगमोहन यहां से तीन बार जीते हैं। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी वर्तमान में यहां से सांसद हैं।
सात बार कांग्रेस, नौ बार बीजेपी ने दर्ज की जीत
इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं जिनमें से सात बार कांग्रेस और नौ बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत दस विधानसभाएं आती हैं, जिनमें से नई दिल्ली, कस्तूरबा नगर, आरके पुरम और दिल्ली कैंट इलाकों में सरकारी कर्मचारियों का दबदबा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में नारायणा, टोडापुर, चिराग दिल्ली, जमरुदपुर, पिलंजी, शाहपुर जट जैसे गांव हैं, जिनमें गुर्जरों के साथ जाट समुदाय के लोगों की भी अच्छी खासी संख्या है। इसी तरह से ग्रेटर कैलाश, मोती नगर, राजेंद्र नगर, पटेल नगर और मालवीय नगर इलाकों में रहने वालों में विभाजन के समय पाकिस्तान से आकर यहां बसने वालों और व्यापारियों की संख्या ज्यादा है।
पार्किंग बड़ी समस्या
इस संसदीय क्षेत्र के लोगों की सबसे पड़ी समस्या पार्किंग को लेकर है। इस क्षेत्र में कई बाजार पड़े हैं और स्थान की कमी की वजह से पार्किंग के लिए स्थान नहीं मिल पाता है। यहां पार्किंग को लेकर हर दिन झगड़े होते ही रहते हैं। इसके अलावा शहरीकृत गांवों के आसपास की जमीन का अधिग्रहण होने के बाद उस भूमि पर कालोनियां तो बन गईं, लेकिन गांवों में आधुनिक सुविधाएं नहीं मिल सकीं। पीने के पानी से लेकर सफाई व्यवस्था भी यहां के लोगों की बड़ी परेशानी है।
आइएनए कालोनी में रहने वाले नीति कुमार कहते हैं कि सरकारी नौकरियों में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल होनी चाहिए। नीति खुद सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं। उनका कहना है कि चाहे सरकार नौकरी के दौरान अधिक राशि काट ले लेकिन पेंशन तो उसे ही देनी चाहिए ताकि लोगों के अंतिम दिन आराम से गुजर सकें। वहीं, पहली बार वोट देने जा रहीं दीपांशी का कहना है कि देश की सरकार को चाहिए कि वह युवाओं के लिए नौकरी उपलब्ध कराए या देश में ऐसी परिस्थितियां बनाए कि युवा आराम से अपना व्यवसाय कर पाएं।